ग्रामीणों को वनों से जोड़ेगी सरकार, विकसित किए जाएंगे मिश्रित वन

  1. Home
  2. Dehradun

ग्रामीणों को वनों से जोड़ेगी सरकार, विकसित किए जाएंगे मिश्रित वन

उत्तराखंड में वनों की आग में बहुमूल्य वन संपदा का खाक होने के बाद राज्य सरकार ने अब भविष्य में वनों की आग को रोकने के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाने की तैयारी शुरु कर दी है। शनिवार को देहरादून में वन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वनाग्नि पर चिंता जताते


उत्तराखंड में वनों की आग में बहुमूल्य वन संपदा का खाक होने के बाद राज्य सरकार ने अब भविष्य में वनों की आग को रोकने के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाने की तैयारी शुरु कर दी है। शनिवार को देहरादून में वन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वनाग्नि पर चिंता जताते हुए भविष्य में इससे होने वाले नुकसान को कम से कम करने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए।

ग्रामीणों को वनों से जोड़ेंगे | वन विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वनों को सुरक्षित रखने के लिए ग्रामीणों को वनों के साथ जोड़ना होगा। साथ ही गांव वालों के हक-हकूक सुनिश्चित करने होंगे। रावत ने कहा कि ग्रामीणों को लगना चाहिए कि वनों के संरक्षण में उनकी भूमिका पार्टनर की है।

हजारों जलाशय बनाए जाएंगे |  मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों में आग के फैलने का बड़ा कारण वन भूमि में नमी की कमी है। वन भूमि में नमी बरकरार रखने के लिए वन विभाग को वन मार्गों के किनारों पर पर्वतीय ढालों पर छोटी-छोटी खाईयां (गड्ढे) तैयार करने होंगे। ये काम इस वर्ष बारिश से पूर्व ही करना होगा तभी इसका लाभ मिल पाएगा। इसके साथ ही हजारों की संख्या में जलाशय बनाने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए। वनों में सम्पर्क मार्गों की कमी के कारण आग बुझाने के लिए पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए वन विभाग को इंट्रा फोरेस्ट कनेक्टीवीटी को सुधारने पर विशेष ध्यान देना होगा। वन मार्ग बनाए जाने बहुत जरूरी हैं। इसके लिए कैम्पा से आवश्यक धनराशि का प्रावधान किया जा सकता है।

मिश्रित वन विकसित किए जाएंगे | उत्तराखंड के वनों में आग के तेजी से फैलने का कारण चीड़ व इसकी पत्तियां हैं, ऐसे में चीड़ के जंगलों को मिश्रित वनों में परिवर्तीत किए जाने की आवश्यकता है। वन विभाग इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों को चिन्हित करेगा, जहां पर मिश्रित वन विकसित किए जा सकते हैं।

पिरुल एकत्र करने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि | राज्य सरकार जंगल में पिरूल को एकत्र करने पर ग्रामीणों को प्रोत्साहन राशि देगी। इससे ना सिर्फ वनों में पिरूल की मात्रा को नियंत्रित करके आग को तेजी से फैलने से रोका जा सकेगा, वहीं ग्रामीणों की आजीविका भी बढ़ेगी। साथ ही सरकार पिरूल के उपयोग के लिए योजना बनाएगी ताकि पिरुल का सही उपयोग किया जा सके।

सुनिश्चित होंगे ग्रामीणों के हक-हकूक | राज्य सरकार ग्रामीणों को जंगलों से जोड़ने के लिए उनके हक हकूक सुनिश्चित करेगी ताकि ग्रामीणों को वन निगम के माध्यम से हक-हकूक की लकड़ी मिल सके।

मुख्यमंत्री रावत ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक हजार मीटर से ऊंचे क्षेत्रों में फायर लाईन को दुरूस्त करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए। आरईएस व मेरा गांव मेरी सड़क योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाली छोटी-छोटी सड़कों के लिए वृक्षपातन की अनुमति में एकरूपता लाई जाए।

रावत ने अधिकारियों को सिविल सोयम भूमि के संबंध में व्याप्त भ्रम की स्थिति को दूर करने के भी निर्देश दिए। साथ ही जिलों में वन भूमि हस्तांतरण के मामलों की साप्ताहिक समीक्षा करने के निर्देश सभी जिलाधिकारियों को दिए। साथ ही रावत ने वन भूमि हस्तांतरण के मामलों को फास्ट ट्रेक पर हल करने की भी बात कही।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से संबंधित डीएफओ के सहयोग से अपने जिलों में स्थित डिग्रेडेबल फॉरेस्ट की मैपिंग करवाने और केंद्र सरकार की योजनाओं की भांति ही राज्य सरकार की योजनाओं में भी क्षतिपूर्ती वनीकरण डिग्रेडेबल फोरेस्ट में किए जाने के लिए भारत सरकार से अनुमति लेने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।

वन विभाग की समीक्षा बैठक में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, विधायक नवप्रभात, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, प्रमुख सचिव रामसिंह,  राधा रतूड़ी, सचिव शैलेश बगोली सहित वन विभाग के अधिकारी व जिलाधिकारी उपस्थित थे।

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे