शिक्षा का व्यवसायीकरण रोकने के लिए नियामकी ढांचा जरूरी: राज्यपाल

  1. Home
  2. Dehradun

शिक्षा का व्यवसायीकरण रोकने के लिए नियामकी ढांचा जरूरी: राज्यपाल

उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने शनिवार को यूनिवर्सिटी आॅफ पैट्रोलियम एण्ड एनर्जी स्टडीज के 14वें दीक्षान्त समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित किया। दीक्षा प्राप्त विद्यार्थियों का आह्वाहन करते हुए राज्यपाल ने कहा- ‘‘ चारित्रिक मूल्यों, अपनी योग्यता और कौशल के बल पर देश को प्रगति के पथ पर ले


उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने शनिवार को यूनिवर्सिटी आॅफ पैट्रोलियम एण्ड एनर्जी स्टडीज के 14वें दीक्षान्त समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित किया।
दीक्षा प्राप्त विद्यार्थियों का आह्वाहन करते हुए राज्यपाल ने कहा- ‘‘ चारित्रिक मूल्यों, अपनी योग्यता और कौशल के बल पर देश को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए पूरे जोश, उत्साह, समर्पण तथा स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ जीवन के नये पड़ाव/दुनिया में प्रवेश करें। युवा देश की शक्ति हैं, उन्हें अपने रचनात्मक रवैये/दृष्टिकोण से समस्याओं पर चिंतन करने के साथ ही समस्याओं का समाधान भी खोजना होगा। युवाओं को यह बात हमेशा याद रखनी होगी कि नैतिकता और सत्यानिष्ठा ही आत्मविकास तथा चरित्र निर्माण की आधारशिला है।’’
उन्होंने कहा कि राज्य गठन के समय से ही स्थानीय अर्थव्यवस्था तथा राज्य के उच्चतर विकास के लिए बेहतर शिक्षा व्यवस्था और प्रशिक्षण सुविधाओं की अपेक्षा थी। विश्वास है कि यू.पी.ई.एस जैसे विश्वविद्यालय राज्य के युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण प्रदान करने और उनकी तकनीकी तथा व्यावसायिक कुशलता को निखारने में मददगार रहेंगे।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार के लिए बौद्धिक सम्पदा की रचनात्मता तथा अनुसंधान के क्षेत्र में अभिनव पहल किए जाने की आवश्यकता है। ज्ञान अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं तथा चुनौतियों का सामना तभी किया जा सकता है। उत्तराखण्ड को ऐसे विश्वविद्यालय तथा शैक्षणिक संस्थाओं की आवश्यकता है जो न केवल प्रतिभाशाली स्नातक पैदा करे बल्कि वैज्ञानिक तथा शैक्षिक क्षेत्रों में अच्छे अनुसंधानों को प्रोत्साहन भी दे।
राज्यपाल ने कहा कि एक नियामकी ढांचे की स्थापना अत्यन्त महत्वपूर्ण है ताकि शिक्षा का व्यावसायीकरण रोका जा सके तथा इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का शोषण न हो।
राज्यपाल ने यू.पी.ई.एस विश्वविद्यालय द्वारा 51 स्कूल जाने वाली बालिकाओं को गोद लेने तथा उनकी शिक्षा का उत्तरदायित्व लेने की सराहना की। विश्वविद्यालय द्वारा आसपास के गांवो की महिलाओं वर्मीकम्पोस्टिंग, कम्यूनिकेशन स्किल, ब्यूटीशियन तथा टेलरिंग आदि का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी नवीकरणीय संसाधनों के बढ़ते प्रयोग से भारत की महंगे आयातित जैविक ईंधनों पर निर्भरता कम होगी। इस संदर्भ में हमें सौर ऊर्जा के कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके द्वारा दूरस्थ गावों तक बिजली पहुंचाने की लागत में भी कमी आयेगी।
उन्होंने कहा कि यू.पी.ई.एस द्वारा ‘‘कौशल पर्यावरण’’ का निर्माण की व्यवस्था की गई है।  कौशल विकास के इस युग में यह बहुत सराहनीय कदम है। इसने इंजीनियरिग, प्रबन्धन तथा कानूनी शिक्षा में नवोन्मेषी तथा उद्योग केन्द्रित पाठयक्रमों के माध्यम से अपना एक अलग स्थान बनाया है। इसने विश्वविद्यालयों के मध्य गुणवता का मंच निर्माण किया है। मुझे आशा है कि विश्वविद्यालय के छात्र विभिन्न अध्ययनों के मध्य असंतुलन को दूर करेगे तथा देश की आर्थिक, तकनीकी तथा सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करेगें।
उन्होंने कहा कि यह स्नातक उत्तीर्ण करने वाले छात्रों, उनके अभिभावको तथा शिक्षकों के लिए वास्तव में गर्व का क्षण है। राज्यपाल ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्था के प्रत्येक बैच के दुनिया में प्रवेश के साथ संस्था द्वारा एक उपलब्धि का अनुभव किया जाता है।
दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने गोल्ड मेडलिस्ट विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया।

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे