अच्छी ख़बर | ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पकड़ेगी रफ्तार

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अच्छी ख़बर | ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पकड़ेगी रफ्तार

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के लिए सरकारी भूमि एक सप्ताह में रेलवे विकास निगम को हस्तांतरित की जाएगी। परियोजना को गतिमान बनाने के लिए राज्यपाल डा. केके पाल ने कमिश्नर गढ़वाल की अध्यक्षता में मॉनीटरिंग कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी हर दो महीने में एक बार परियोजना की समीक्षा करेगी। इस रेल परियोजना


अच्छी ख़बर | ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पकड़ेगी रफ्तार

अच्छी ख़बर | ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पकड़ेगी रफ्तारऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के लिए सरकारी भूमि एक सप्ताह में रेलवे विकास निगम को हस्तांतरित की जाएगी। परियोजना को गतिमान बनाने के लिए राज्यपाल डा. केके पाल ने कमिश्नर गढ़वाल की अध्यक्षता में मॉनीटरिंग कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी हर दो महीने में एक बार परियोजना की समीक्षा करेगी।  इस रेल परियोजना के पूरा होने से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग का सफर अधिक सुरक्षित हो जाएगा। साथ ही यात्रा में ढाई से तीन घंटे समय कम हो जाएगा। अभी करीब आठ घंटे का समय लगता है। बुधवार को राजभवन में राज्यपाल डा. केके पाल ने ऋषिकेश से कर्णप्रयाग की प्रस्तावित रेलवे लाइन के वर्तमान स्टेटस की समीक्षा की। राज्यपाल ने बैठक में रेलवे लाइन के लिए वन भूमि को छोड़कर अन्य सरकारी भूमि को एक सप्ताह में रेलवे विकास निगम को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए।

पिटकुल की हाईटेंशन लाइनों को हटाने व अन्य विभागों से एनओसी के लिए सभी औपचारिकताएं यथाशीघ्र पूर्ण करने के भी निर्देश दिए। परियोजना का सामाजिक प्रभाव और परिणाम के आकलन के लिए संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि असेसमेंट के लिए एक्सपर्ट की राय लें।

इस पर व्यय होने वाली धनराशि की व्यवस्था रेलवे विकास निगम करेगा। क्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान बनाने के लिए कहा। राज्यपाल ने निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रस्तावित रेलवे ट्रैक के निर्माण के दौरान मार्गों पर स्थानीय लोगों को आवागमन, यातायात संबंधी कोई परेशानी न हो, सड़कों पर मलवा या अन्य निर्माण सामग्री बाधा न बने।

निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि कार्ययोजना की समय सारिणी तैयार कर उसकी प्रति अधिकारियों को भी उपलब्ध करा दें ताकि कार्य की प्रगति में किसी भी प्रकार का व्यवधान न आए। बैठक में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, रेलवे विकास निगम और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना 125 किलोमीटर लंबी है। यह पांच जिलों को कवर करेगी। इनमें देहरादून, पौड़ी, टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग जनपद शामिल हैं। इस रेलवे लाइन का 85 प्रतिशत ट्रैक टनल से गुजरेगा। राजमार्ग, वन क्षेत्र, नदियों और गांव से गुजरने वाली रेलवे लाइन पर 12 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। रेलवे विकास निगम के अफसरों ने प्रोजेक्ट का विस्तृत प्रजेंटेशन दिया।

रेलवे लाइन क्षेत्र के विकास के लिए अलग से मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। राज्यपाल ने निर्देश दिए कि ट्रैक पर जो रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं वहां जनसुविधाओं का आकलन किया जाए। इन क्षेत्रों में जिन सुविधाओं की आवश्यकता है, उनके विस्तृत प्रस्ताव तैयार किए जाए। इन क्षेत्रों के सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाए। इसमें यह ध्यान रखा जाए कि क्षेत्रीय लोग लाभान्वित हों। रेलवे परियोजना में जो निजी भूमि ली जा रही है, उससे प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए अलग से नीति बनाई जाएगी। पुनर्वास नीति बनाने की जिम्मेदारी राजस्व विभाग को दी गई है। राजस्व विभाग इसका ड्राफ्ट राज्यपाल सलाहकार परिषद की बैठक में रखेगा। बैठक में नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। रेलवे परियोजना के लिए वन विभाग ने अपने प्रस्ताव पास कर दिए हैं। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे परियोजना में 300 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि आ रही है। वन विभाग ने पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए इसे केंद्र को भेज दिया है। केंद्रीय वन, पर्यावरण मंत्रालय की टीम ने 17 अप्रैल को यहां का निरीक्षण भी कर लिया है। मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय की प्रस्तावित अगली बैठक में इसे हरी झंडी दे दी जाएगी।

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