उत्तराखंड | वृक्ष मानव के नाम से मशहूर विश्वेश्वर दत्त सकलानी का निधन
टिहरी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में वृक्षमानव के नाम से मशहूर विशेश्वर दत्त सकलानी का शुक्रवार सुबह अपने घर में अंतिम सांस ली। उनके अचानक से चले जाने पर क्षेत्र के प्रकृति प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई शनिवार को ऋषिकेश स्थित घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा । टिहरी जिले के सत्यों के पास पुजार
टिहरी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में वृक्षमानव के नाम से मशहूर विशेश्वर दत्त सकलानी का शुक्रवार सुबह अपने घर में अंतिम सांस ली। उनके अचानक से चले जाने पर क्षेत्र के प्रकृति प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई शनिवार को ऋषिकेश स्थित घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा ।
टिहरी जिले के सत्यों के पास पुजार गांव में 2 जून 1922 को विश्वेश्वर दत्त सकलानी का जन्म हुआ था। इस पहाड़ के मांझी ने 50 लाख से अधिक पेड़ लगाकर अपना पूरा जीवन प्रकृति को समर्पित कर दिया था। उन्होंने आठ साल की छोटी सी उम्र से पेड़ लगाने शुरू कर दिए। बांज, बुरांश, सेमल, देवदार का घना जंगल तैयार कर सकलाना क्षेत्र के बंजर इलाके की तस्वीर बदल दी।
इसी का नतीजा है कि आज भी क्षेत्र में प्राकृतिक जल धाराएं ग्रामीणों की प्यास बुझा रही हैं।उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर योगदान दिया।देश की आजादी की खातिर उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। पुजार गांव में बांज, बुरांश का मिश्रित सघन खड़ा जंगल आज भी उनके परिश्रम की कहानी को बयां कर रहा है।
विशेश्वर दत्त सकलानी को 19 नवंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्ष मित्र पुरस्कार से भी सम्मानित किया था।वृक्षमानव सकलानी का सपना था कि प्रत्येक आदमी पेड़ों को अपने जीवन के तुल्य माने और उनकी रक्षा करे। उनका संदेश था कि जीवन के तीन महत्वपूर्ण मौकों जन्म, विवाह और मृत्यु पर एक पेड़ जरूर लगाएं।
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