अल्मोड़ा | 200 साल का साथ और एक रात की बारिश का सितम, अब सिर्फ यादें बाकी…
अल्मोड़ा (उत्तराखंड पोस्ट) बचपन में आपने ‘दो बैलों की कथा’ तो सुनी ही होगी। आज मैं आपको सुनाऊंगा कहानी ‘दो पेड़ो की’। अल्मोड़ा क दो पेड़ों में भी हीरा- मौती जितनी ही गहरी दोस्ती थी। दोनों 200 साल तक साथ रहे और आज दोनों साथ ही हमें अलविदा कह गए। बात हो रही है अल्मोड़ा के पोस्ट
अल्मोड़ा (उत्तराखंड पोस्ट) बचपन में आपने ‘दो बैलों की कथा’ तो सुनी ही होगी। आज मैं आपको सुनाऊंगा कहानी ‘दो पेड़ो की’।
अल्मोड़ा क दो पेड़ों में भी हीरा- मौती जितनी ही गहरी दोस्ती थी। दोनों 200 साल तक साथ रहे और आज दोनों साथ ही हमें अलविदा कह गए।
बात हो रही है अल्मोड़ा के पोस्ट ऑफिस रोड के बोहनवेलिया और देवदार के पेड़ की।
दोनों ने 200 साल तक अल्मोड़ा के लोगों को छांव दी, यादें दी और अब आज दोनों तेज बारिश से हारकर गिर गए।
करीब दो सौ साल पहले दोनों को लगाया गया था। दोनों को बेहद करीब लगाया गया था। धीरे-धीरे दोनों बड़े हुए।
फिर उनकी दोस्ती इतनी गहरी हो गयी कि बोगनवेलिया का पेड़ देवेदार में ही समा गया। हर साल मई-जून के महीने में जब बोगनवेलिया के फूल आते तो देवदार का पेड उसके फूलों से ही लद जाता था।
फूल से लदे हुए इस पेड़ को देखते ही दिल खुश हो जाता था। जो भी पोस्ट ऑफिस के रास्ते से गुजरता वह इस निहारे बिना नही रह पाता। बोगनवेलिया के फूल से लदा देवदार का पेड़ हर किसी के मुख पर मुस्कान ले आता।
कुदरत की सुंदरता की झलक इस पेड़ के हर तरफ चर्चे थे। सोशल मिडिया पर तो ये पेड़ सेलिब्रिटी था। जो भी अल्मोड़ा आता, उसकी ख्वाहिश होती थी इस पेड़ को देखने की। ये इस पेड़ की सुंदरता ही थी कि ये जगह सेल्फी प्वाइंट बन चुकी थी।
यह दो पेड़ अल्मोड़ा के गोविंद बल्लब पंत पार्क में लगे हुए थे। पेड़ के साथ-साथ ये पार्क भी अपने आप में बेहद खास है।
इस पार्क का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल रिकॉर्ड में दर्ज है क्योंकी यह दुनिया का सबसे छोटा पार्क है। लेकिन कुदरत ने अपना ये तोहफा वापस लेकर हर किसी को दुखी कर दिया है। यकीनन लोग इस पेड़ को कभी नही भूल पाएंगे।
अल्मोड़ा अपने आप में सुंदरता की मिसाल है मगर लोगों के दिल में इस पेड़ के लिए खास जगह थी। बाल मिठाई के बाद शायद ये पेड़ ही था जो लोगों को इतना प्यारा था।
अल्मोड़ा के लोगों का पेड़ से रिश्ता भी दिल छू लेने वाला है। अल्मोड़ा की शान और पहचान देवदार और बोगनवेलिया के पेड़ के टूटने की खबर मिलते ही हर कोई उसे देखने चल दिया।
हर किसी का मन उदास था। लोग पेड़ो के साथ अपने पवित्र रिश्ते की याद में पेड़ की टहनिया अपने घरों को ले जा रहे थे।
अब इस पेड़ की टहनिया ही लोगों में इन दो पेड़ो को जिंदा रखेंगी। वाकई में साल 2020 बहुत बुरा होता जा रहा है। छुट्टिया में घर आने वाले लोग अब जब इस जगह को देखेंगे तो उन्हें बहुत दुख होगा।
(लेखक अमित तिवारी युवा पत्रकार है और अल्मोड़ा जिले से ही ताल्लुक रखते है)
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