उत्तराखंड | बाबा केदार की डोली ने किया धाम के लिए प्रस्थान

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उत्तराखंड | बाबा केदार की डोली ने किया धाम के लिए प्रस्थान

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सोमवार को श्री केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया। आज प्रथम पड़ाव श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। वेद मंत्रोच्चार एवं धार्मिक परंपराओं के बीच आज सोमवार को बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति ने चल विग्रह डोली में विराजमान होकर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। उधर, मां गंगा की डोली अपने शीतकालीन पड़ाव मुखबा (मुखीमठ) से गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी।


 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) सोमवार को श्री केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया। आज प्रथम पड़ाव श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। वेद मंत्रोच्चार एवं धार्मिक परंपराओं के बीच आज सोमवार को बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति ने चल विग्रह डोली में विराजमान होकर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। उधर, मां गंगा की डोली अपने शीतकालीन पड़ाव मुखबा (मुखीमठ) से गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी।

सुबह 6 बजे से ही पंचकेदार गद्दीथल ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। केदारनाथ के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी टी. गंगाधर लिंग बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति को पंचकेदार गद्दीस्थल के गर्भगृह से सभामंडप में विराजमान किया। इसके बाद पंचमुखी भोगमूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान कर भव्य शृंगार किया गया।

ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा के बाद बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली धाम के लिए प्रस्थान किया। डोली पहले पड़ाव विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। इसके बाद 3 मई को नारायणकोटी, मैखंडा होते हुए दूसरे पड़ाव फाटा, 4 मई को सीतापुर, सोनप्रयाग होते हुए गौरीकुंड में रात्रि प्रवास होगा। 5 मई को डोली गौरीकुंड से 17 किमी पैदल रास्ता तय कर दोपहर को अपने धाम केदारनाथ पहुंचेगी। जहां 6 मई को सुबह 6.25 बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। उधर, मां गंगा की डोली मुखबा (मुखीमठ) से रात्रि विश्राम के लिए भैंरोघाटी पहुंचेगी। इसके बाद अक्षय तृतीय के दिन 3 मई को डोली गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी। अक्षय तृतीया पर पूर्वाह्न 11.15 बजे धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे। मां गंगा के शीतकालीन पड़ाव मुखबा स्थित गंगा मंदिर में सोमवार को मां गंगा चिणा, फाफरा, आलू, राजमा व रोट, स्वाले, चूरमा आदि से तैयार प्रसाद का भोग लगाया जाएगा, जिसके बाद ग्रामीण मां गंगा को धाम तक छोड़ने के लिए डोली यात्रा के साथ रवाना होंगे।

मां यमुना की डोली उनके शीतकालीन पड़ाव खरसाली से मंगलवार सुबह 8.30 बजे यमुनोत्री के लिए रवाना होगी। उनके भाई शनि समेश्वर देवता की डोली भी उन्हें धाम तक छोड़ने जाएंगे। मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि कपाट 12 .15 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) सोमवार को श्री केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया। आज प्रथम पड़ाव श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। वेद मंत्रोच्चार एवं धार्मिक परंपराओं के बीच आज सोमवार को बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति ने चल विग्रह डोली में विराजमान होकर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। उधर, मां गंगा की डोली अपने शीतकालीन पड़ाव मुखबा (मुखीमठ) से गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी।

सुबह 6 बजे से ही पंचकेदार गद्दीथल ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। केदारनाथ के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी टी. गंगाधर लिंग बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति को पंचकेदार गद्दीस्थल के गर्भगृह से सभामंडप में विराजमान किया। इसके बाद पंचमुखी भोगमूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान कर भव्य शृंगार किया गया।

ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा के बाद बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली धाम के लिए प्रस्थान किया। डोली पहले पड़ाव विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। इसके बाद 3 मई को नारायणकोटी, मैखंडा होते हुए दूसरे पड़ाव फाटा, 4 मई को सीतापुर, सोनप्रयाग होते हुए गौरीकुंड में रात्रि प्रवास होगा। 5 मई को डोली गौरीकुंड से 17 किमी पैदल रास्ता तय कर दोपहर को अपने धाम केदारनाथ पहुंचेगी। जहां 6 मई को सुबह 6.25 बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। उधर, मां गंगा की डोली मुखबा (मुखीमठ) से रात्रि विश्राम के लिए भैंरोघाटी पहुंचेगी। इसके बाद अक्षय तृतीय के दिन 3 मई को डोली गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी। अक्षय तृतीया पर पूर्वाह्न 11.15 बजे धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे। मां गंगा के शीतकालीन पड़ाव मुखबा स्थित गंगा मंदिर में सोमवार को मां गंगा चिणा, फाफरा, आलू, राजमा व रोट, स्वाले, चूरमा आदि से तैयार प्रसाद का भोग लगाया जाएगा, जिसके बाद ग्रामीण मां गंगा को धाम तक छोड़ने के लिए डोली यात्रा के साथ रवाना होंगे।

मां यमुना की डोली उनके शीतकालीन पड़ाव खरसाली से मंगलवार सुबह 8.30 बजे यमुनोत्री के लिए रवाना होगी। उनके भाई शनि समेश्वर देवता की डोली भी उन्हें धाम तक छोड़ने जाएंगे। मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि कपाट 12 .15 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।

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