चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं, सबसे पहले केदारनाथ धाम मत जाना! समझिए क्यों ?

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चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं, सबसे पहले केदारनाथ धाम मत जाना! समझिए क्यों ?

Chardham Yatra

चारधाम का मतलब, चार धाम। इन चारधामों में हैं- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। चारधाम यात्रा छह महीने ही चलती है। कई लोग जहां चारों धामों की यात्रा करते हैं, तो कई लोग एक धाम, या फिर दो धाम की यात्रा भी करते हैं।


 

केदारनाथ धाम (उत्तराखंड पोस्ट) भारत के पहाड़ी राज्यों में से एक उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर देश विदेश से हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धाल पहुंचते हैं।

चारधाम का मतलब, चार धाम। इन चारधामों में हैं- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। चारधाम यात्रा छह महीने ही चलती है। कई लोग जहां चारों धामों की यात्रा करते हैं, तो कई लोग एक धाम, या फिर दो धाम की यात्रा भी करते हैं।

अगर आप भी उत्तराखंड की चारधाम यात्रा को करना चाह रहे हैं और आप चाहते हैं कि आप सभी चारों धामों की यात्रा करें तो आज हम इसका सही क्रम बताएंगे। हम बताएंगे कि सबसे पहली कौन से धाम की यात्रा करें और फिर इसके बाद किन-किन धामों की यात्रा कर आखिरी में किस धाम की यात्रा कर अपनी चारधाम यात्रा को पूर्ण करें ताकि यात्रा का फल आपको मिल सके।

उत्तराखंड के चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री धाम से होती है। यमुनोत्री से यमुना नदी का उदगम होता और देवी यमुना को समर्पित मंदिर यमुनोत्री पर स्थित है। मान्यता है कि यमुना नदी के पानी से स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।

हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है और यहां पहुंचने में लगभग 5-6 घंटे का समय लगता है। हनुमान चट्टी से 6 किलोमीटर का ट्रेक यमुनोत्री तक जाता है, जहां पवित्र यमुना नदी का उद्गम होता है।

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री है, जो गंगा नदी का उद्गम स्थल है। देवी गंगा को समर्पित मंदिर उतरकाशी के गंगोत्री में ही स्थित है। यमुनोत्री से गंगोत्री की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है और यहां पहुंचने में लगभग 6-7 घंटे का समय लगता है। यहां आपको चलना नहीं पड़ेगा आप आसानी से सड़क के रास्ते यहां पहुंच पाएंगे।

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा तीसरा पड़ाव केदारनाथ धाम मंदिर है जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ मंदिर हिमालय में स्थित है। रुद्रप्रयाग जिले में स्थित इस धाम की यात्रा सबसे कठिन है। महाभारत के अनुसार पांडवों ने शुरुआती केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया था। गंगोत्री से केदारनाथ की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है और यहां पहुंचने में लगभग 7-8 घंटे का समय लगता है। यहां पहुंचने के लिए आपको 18 किलोमीटर चलना पड़ता है। अगर आप चलना नहीं चाहते हैं तो आप हेलिकॉप्टर की मदद से भी केदारनाथ पहुंच सकते हैं या फिर पालकी से भी जा सकते हैं।

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का चौथा और अंतिम पड़ाव बद्रीनाथ धाम है, जो भगवान विष्णु के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से 3,843 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है और यहां पहुंचने में लगभग 8-9 घंटे का समय लगता है। यहां आप सीधे सड़क के रास्ते आसानी से पहुंच जाएंगे और आपको चलना बिल्कुल नहीं पड़ेगा।

आखिर क्यों यमुनोत्री से ही शुरू होती है चारधाम यात्रा ?

चारधाम की यात्रा बहुत पुण्य फलदाई मानी जाती है। किंवदंतियों के मुताबिक उत्तराखंड की चारधाम यात्रा को बिना किसी बाधा के पूरी करने के लिए और यमत्रास से मुक्ति पाने के लिए हर साल चारधाम यात्रा का शुभारंभ यमुनोत्री से ही किया जाता है। इसके बाद गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा की जाती है।

चारधाम यात्रा और इसकी मान्यता?

हिंदू धर्म के लोगों के लिए चारधाम यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि हर हिंदू को अपने जीवन में कम से कम एक बार तो चारधाम यात्रा पर जरूर जाना चाहिए। साथ ही मान्यता है कि चारधाम यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा चारों धामों की यात्रा करने वाले लोगों के पाप नष्ट होने के साथ ही वो जीवन-मरण के जाल से भी आजाद हो जाते हैं। वहीं शिव पुराण में कहा गया है कि केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा के बाद जो भी व्यक्ति जल ग्रहण करता है, उसका दोबारा पृथ्वी पर जन्म नहीं होता है। चारधाम यात्रा करने से मानसिक शांति भी मिलती है। चारधाम यात्रा करने वाले कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से भी दूर रहते हैं।

चारधाम यात्रा की जरूरी बातें और चुनौतियां

चारधाम यात्रा में बारिश के समय रोड की स्थिति खराब हो जाती है और इस दौरान लैंड स्लाइड सबसे ज्यादा होती है। बारिश के मौसम में कई बार यात्रा स्थगित भी करनी पड़ती है। आने से पहले मौसम और चारधाम यात्रा के रूट की स्थिति की जांच करें और उसके अनुसार ही अपना ट्रैवल प्लान बनाएं।

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