हरीश रावत का सीनियर सिटीजन वाला मौन तप, बोले- उत्तराखंड में बिजली सत्याग्रह की जरुरत

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हरीश रावत का सीनियर सिटीजन वाला मौन तप, बोले- उत्तराखंड में बिजली सत्याग्रह की जरुरत

Harish_Rawat

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड में बिजली कटौती पर राज्य की धामी सरकार को निशाने पर लिया है। इतना ही नहीं हरीश रावत ने शुक्रवार को राज्य में हो रही बिजली कटौती के खिलाफ कड़ी धूप में एक घंटे का मौन उपवास कर अपना विरोध जताया।


 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड में बिजली कटौती पर राज्य की धामी सरकार को निशाने पर लिया है। इतना ही नहीं हरीश रावत ने शुक्रवार को राज्य में हो रही बिजली कटौती के खिलाफ कड़ी धूप में एक घंटे का मौन उपवास कर अपना विरोध जताया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- राज्य में सरकार की लापरवाही की वजह से जो विद्युत संकट पैदा हुआ, बिजली मिल नहीं रही है। अघोषित तरीके से घंटों-घंटों तक बिजली नहीं आ रही है। इंडस्ट्रीज परेशान हैं, व्यवसायी परेशान हैं, अध्ययनरत छात्र परेशान हैं और लगभग 8 से 10 घंटे तक की कटौती ग्रामीण क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों में नजर आ रही है और मैंने इसके खिलाफ पहले भी आवाज बुलंद की थी।

हरदा ने कहा- आज मेरा एक निजी प्रयास है, एक सीनियर सिटीजन के नाते, यह मेरा गैर राजनीतिक प्रयास है इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। ताकि सरकार अपनी कमियों को देख सके, विद्युत व्यवस्था में जो अव्यवस्था पैदा हो रही है उसको दुरुस्त करें,कितनी अजीब सी बात है गैस प्लांटों से जो बिजली मिलती थी उसका इनको आभास था। लेकिन उसको भी दुरूस्त नहीं कर पाये।

हरीश रावत आगे कहते हैं- कई हमारी परियोजनाएं जिनको यदि साधारण तरीके समय पर मरम्मत कर ली होती तो इस समय पानी की उपलब्धता थी उनमें बिजली बढ़ सकती थी और यह ऐसा समय है जब यूपीसीएल को बाहर से भी बिजली खरीद करके व्यवस्था रखनी चाहिये थी तो यह जानबूझ करके लोगों के ऊपर बिजली की कटौती थोपी गई है। बिजली के दाम लगातार बढ़ाये हैं। अब बिजली की कटौती और उधर वनों में आग लगने की घटनाएं निरन्तर बढ़ रही हैं।

पूर्व सीएम हरदा ने आगे कहा- सरकार, कहीं भी ऐसा प्रयास करते हुये नहीं दिखाई दे रही है कि वनाग्नि को नियंत्रित किया जा सके। जंगलों में जहां पानी के श्रोत हैं, यदि वो जंगल फूक जायेंगे तो उससे पानी के श्रोतों पर भी बुरा असर पड़ेगा और पानी की कठिनाई/पेयजल संकट से राज्य पहले ही जूझ रहा है, वह पेयजल संकट मई-जून में और अधिक हो जायेगा तो सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिये मैंने यह 1 घंटे का मौन उपवास, एक प्रकार का 1 घंटे का तप ही समझ लीजिये इस चटक धूप में बैठकर के किया है।

हरीश रावत ने आखिर में कहा- मैं विशुद्ध रूप से सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हॅू बाकि राजनैतिक रूप से हम लोगों को बिजली सत्याग्रह के विषय में सोचना चाहिये और उसको पार्टी एक कार्यक्रम के रूप में संचालित कर सकती है।

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