कैग की रिपोर्ट ने सरकारी कामकाज पर खड़े किए सवाल

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कैग की रिपोर्ट ने सरकारी कामकाज पर खड़े किए सवाल

गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान पेश हुई उसकी रिपोर्ट में सरकारी कामकाज पर गंभीर सवाल उठे हैं। इस कड़ी में सिडकुल, कृषि, नागरिक उड्डयन, पावर कारपोरेशन, पीडब्लूडी और संस्कृति समेत अन्य कईं विभागों की अनियमितताएं सामने आई हैं। सबसे पहली बात सिडकुल यानि स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एवं इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन जिसने साल 2006 में पंतनगर


गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान पेश हुई उसकी रिपोर्ट में सरकारी कामकाज पर गंभीर सवाल उठे हैं। इस कड़ी में सिडकुल, कृषि, नागरिक उड्डयन, पावर कारपोरेशन, पीडब्लूडी और संस्कृति समेत अन्य कईं विभागों की अनियमितताएं सामने आई हैं।

सबसे पहली बात सिडकुल यानि स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एवं इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन जिसने साल 2006 में पंतनगर में दो कंपनियों को भूखंड आवंटित किए। संबंधित निजी कंपनियों ने सरकारी योजना का फायदा तो ले लिया, लेकिन वहां उत्पादन ही नहीं किया। हैरत की बात ये है कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच सरकार की अदला बदली हो गई, लेकिन भूखंड अब तक निरस्त नहीं हुए हैं।

कैग रिपोर्ट के मुताबिक सिडकुल प्रबंधन की इस दरियादिली से 4.30 करोड के राजस्व का नुकसान हुआ। इसी तरह कैग के मुताबिक उत्तराखंड पॉवर कारपोरेशन ने साल 2011-12 और 2014-15 के बीच शॉर्टटर्म एग्रीमेंट के तहत बिजली खरीदी। लेकिन बगैर बाजार में रजिस्ट्रेशन के बिजली खरीद और बेचने से यूपीसीएल को 4.68 करोड के राजस्व का नुकसान हुआ। यानि मौजूदा कांग्रेस और पूववर्ती बीजेपी के निजाम में पावर कारपोरेशन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है।

कैग की रिपोर्ट ने उत्तराखंड में नागरिक उड्डयन विभाग की कारगुजारियों पर सवाल खड़े किए हैं। साल 2006-07 और 2012-13 के दौरान उत्तराखंड में 6 हैलीपैड के निर्माण के लिए 5.60 करोड की रकम जारी हुई। दिलचस्प ये है कि कार्यदायी संस्था के खाते में पैसा चला गया, लेकिन जमीन मुहैया नहीं हो पाने के चलते अभी तक हैलीपेड नहीं बने हैं।

इसी कड़ी में साल 2011 में तत्कालीन सरकार ने पहले 1 लाख 5 हजार रूपये प्रतिघंटा किराये के हिसाब से डबल इंजन हेलीकॉप्टर लिया। फिर उसे मरम्मत के नाम पर हटा दिया और 1 लाख 45 हजार के किराये पर हैलीकाप्टर लिया।

जबकि शासनादेश में इसे 1 लाख 25 हजार तक रखा गया है। यानि निजी कंपनियों को 20 हजार प्रतिघंटे ज्यादा किराया दिया गया, जिससे राज्य सरकार को 10.45 करोड की चपत लगी।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक संस्कृति विभाग की कारगुजारी से 1.3 करोड की रकम डूब गई दरअसल, हरिद्वार जिले में उस जमीन पर एक ऑडिटोरियम बनवा दिया, जिस पर उसका मालिकाना हक ही नहीं और अधबीच काम रूकवाना पड़ा।

बहरहाल ये तो मौजूदा कांग्रेस और पूववर्ती बीजेपी की सरकार के कार्यकाल में कुछेक महकमों के बडे कारनामे हैं, लेकिन महानियंत्रक लेखा यानि कैग ने लोक निर्माण विभाग, कृषि, शिक्षा समेत अन्य विभागों की कार्यशैली पर आपत्ति जाहिर की है। जिससे ना सिर्फ वित्तीय अनियमितताएं बल्कि कईं दूसरे कारणों के चलते विभिन्न योजनाओं की धनराशि वापस करने का जिक्र है।

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