नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू करने का निर्णय अभिनंदनीय, मोदी है तो मुमकिन है: धामी

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नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू करने का निर्णय अभिनंदनीय, मोदी है तो मुमकिन है: धामी

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा 'मोदी है तो मुमकिन है' आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़ग़ानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा व सम्मान प्रदान करने के लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार द्वारा देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA ) लागू करने का निर्णय अभिनंदनीय है।


 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी, इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा।

'मोदी है तो मुमकिन है' -धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा 'मोदी है तो मुमकिन है' आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़ग़ानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा व सम्मान प्रदान करने के लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार द्वारा देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू करने का निर्णय अभिनंदनीय है।

धामी ने कहा इस ऐतिहासिक निर्णय हेतु आदरणीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय गृहमंत्री अमित शाह का हार्दिक आभार! प्रधानमंत्री जी का यह कदम राष्ट्रहित में उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को परिलक्षित करता है। हमें पूर्ण विश्वास है कि आपके तीसरे कार्यकाल में भी इसी प्रकार देश को सशक्त करने वाले निर्णय लिए जाते रहेंगे।

क्या है CAA ?

CAA के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल तैयार किया है। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।

साल 2019 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था, इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था। नियमों के मुताबिक, नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा।

नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है। पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया गया है। ऐसे प्रवासी नागरिक, जो अपने देशों में धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर शरण ले चुके हैं। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों।

सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है, इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी एप्लाई कर सकता है। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी ऐसे मामले पेंडिंग हैं वे सब ऑनलाइन कन्वर्ट किए जाएंगे। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा, उसके बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और नागरिकता जारी कर देगा।

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