राहत | उत्तराखंड में ‘प्राकृतिक आपदा’ मानी जाएगी जंगल की आग
गर्मियों में जंगल की आग से उत्तराखंड में हर साल करोड़ों की बहुमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो जाती है तो वन्य जीवों के साथ ही इंसानी बस्तियों भी इससे प्रभावित होती हैं। हर साल वन्य जीवों के साथ ही इंसानी जानें भी इस आग की भेंट चढ़ती रही हैं। बीते साल तो वनों की
गर्मियों में जंगल की आग से उत्तराखंड में हर साल करोड़ों की बहुमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो जाती है तो वन्य जीवों के साथ ही इंसानी बस्तियों भी इससे प्रभावित होती हैं। हर साल वन्य जीवों के साथ ही इंसानी जानें भी इस आग की भेंट चढ़ती रही हैं। बीते साल तो वनों की आग ने इतना विकराल रुप धारण कर लिया था कि आग को काबू में करने के लिए एयर फोर्स के हैलिकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी थी। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App – उत्तराखंड पोस्ट
इस सब के उत्तराखंड के लिए राहत की खबर है कि केंद्र सरकार ने वनों में लगने वाली आग को प्राकृतिक आपदा में शामिल कर लिया है। केंद्र के इस कदम में इससे हर साल गर्मियों में वनों की आग से जूझने वाले उत्तराखंड को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से मदद मिलेगी।
उत्तराखंड के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरके महाजन के अनुसार सात अप्रैल को एनडीएमए के आला अधिकारियों के साथ जंगल की आग को लेकर चर्चा की गई। इसमें एनडीएमए की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि अब जंगल की आग भी प्राकृतिक आपदा में शामिल होगी।
उन्होंने बताया कि इससे वन महकमे को एनडीएमए के संसाधनों का लाभ आग बुझाने में मिलेगा। जरूरत पडऩे राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन बल (एनडीआरएफ) की मदद भी विभाग को मिलेगी। उन्होंने जानकारी दी कि विभाग की ओर से एनडीएमए से फंड मुहैया कराने का आग्रह भी किया गया है। इस पर उसे मदद का आश्वासन मिला है।
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