जानकर हैरान रह जाएंगे, आखिर किसके कहने पर हटाए गए किशोर ?
उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को अचानक हटाए जाने के बाद से ही कई सवाल उठ रहे हैं। हर कोई हैरान है कि गुरुवार दोपहर में प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से प्रेस कांफ्रेंस करने वाले किशोर शाम तक पूर्व पीसीसी चीफ कैसे हो गए। बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतना बड़ा फैसला लिया
उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को अचानक हटाए जाने के बाद से ही कई सवाल उठ रहे हैं। हर कोई हैरान है कि गुरुवार दोपहर में प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से प्रेस कांफ्रेंस करने वाले किशोर शाम तक पूर्व पीसीसी चीफ कैसे हो गए। बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतना बड़ा फैसला लिया गया और किशोर उपाध्याय को कानो-कान खबर न हुई। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App – उत्तराखंड पोस्ट
मुमकिन है कि अगर किशोर को अगर पद से हटाने की भनक होती तो वे 4 अप्रैल को सुबह कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रेसवार्ता न करते। बहरहाल असल बात ये है कि आखिर किशोर को हटाने का ताना-बाना कब और किसने बुना। इसका जवाब है,उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत।
हरीश रावत की माने तो सबके परामर्श से ही किशोर उपाध्याय को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया गया। लेकिन मुद्दे की बात ये है कि अगर इसके लिए सबने सलाह-मशविरा किया तो किशोर और उनके करीबियों को इस बात की भनक क्यों नहीं लगी।
हरदा की ये दलील कि, सबकी सलाह लेकर ही किशोर को पद से हटाया गया कांग्रेस के अंदरूनी लोकतंत्र के खांचे में फिट नहीं बैठ रही है क्योंकि आलाकमान भी एक बार जरूर किशोर को विश्वास में लेता।
हालांकि किशोर का हटना तो तभी तय हो गया था जब प्रदीप टम्टा राज्य सभा गए और हरदा से नाराज होकर किशोर कोप भवन में। उसके बाद सरकार के फैसलों पर राज्य संगठन सुप्रीमो किशोर के सुलगते सवाल, और सरकार प्रमुख के जी को जलाती चिट्ठियों का मीडिया के मंच में बेपर्दा हो जाने से सरकार कई बार असहज हो उठे।
नतीजा सबके सामने हैं किशोर अपने सियासी बड़े भाई का विश्वास खो चुके हैं और हरीश अपने उस हाथ को जिसने हरीश रावत के लिए कभी नरायाण दत्त तिवारी से भी पंगा मोल ले लिया था।
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