उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में घोटाले के बीच आई हैरान करने वाली खबर, अब ये घोटाला आया सामने

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उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में घोटाले के बीच आई हैरान करने वाली खबर, अब ये घोटाला आया सामने

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उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वर्ष 2017 से 2020 तक गलत तरीके से हुई नियुक्तियों, सामान खरीद में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता की विजिलेंस जांच करवाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए थे। जिसके बाद विजिलेंस जांच में आयुर्वेद विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई है। विजिलेंस जांच में यहां सामान खरीद, निर्माण कार्यों और भर्ती करने में करीब 250 से 300 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है।


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वर्ष 2017 से 2020 तक गलत तरीके से हुई नियुक्तियों, सामान खरीद में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता की विजिलेंस जांच करवाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए थे। जिसके बाद विजिलेंस जांच में आयुर्वेद विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई है। विजिलेंस जांच में यहां सामान खरीद, निर्माण कार्यों और भर्ती करने में करीब 250 से 300 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है।

विजिलेंस ने पूरी रिपोर्ट शासन की विजिलेंस समिति को भेज दी है। विजिलेंस समिति ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के मौखिक आदेश जारी कर दिए हैं। अब विजिलेंस लिखित आदेश के इंतजार में है। आयुर्वेद विश्विद्यालय के घोटालेबाज अधिकारियों ने करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। विवि के विभिन्न कामों के लिए बनाए गए कॉर्पस फंड को भी नहीं छोड़ा। इसमें से भी शासन की बिना अनुमति के करोड़ों रुपये निकालकर परिसर में भवन बना दिए गए।

यही नहीं विजिलेंस जांच में सामने आया है कि छात्रों को प्रवेश देने में भी करोड़ों की हेराफेरी की गई। इस सब घोटाले से आई रकम की आपस में बंदरबांट कर अपनी जेबें गरम कर ली गईं। दरअसल, हर विश्वविद्यालय और कॉलेज में एक कॉर्पस फंड बनाया जाता है। इस फंड में छात्रों से ली गई फीस और एग्जाम फीस को जमा किया जाता है। इसके बाद इसकी एफडी कर दी जाती है। नियमानुसार इस एफडी से मिलने वाले ब्याज का एक प्रतिशत हिस्सा ही विश्वविद्यालय बिना किसी अनुमति के विभिन्न कामों में ले सकता है। इससे ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए शासन से मंजूरी जरूरी होती है, लेकिन घोटालेबाजों ने इसमें भी खेल कर दिया।

इस फंड से पैसे निकालकर बिल्डिंग पर बिल्डिंग खड़ी कर दी। विजिलेंस सूत्रों के अनुसार इस फंड को आधे से ज्यादा खाली कर दिया गया। इस फंड से भी करीब 50 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है। मेडिकल कॉलेजों में नीट परीक्षा में सफल हुए छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए नीट की काउंसिलिंग की जाती है, लेकिन विश्वविद्यालय में कई ऐसे छात्रों को प्रवेश दिया, जिनकी काउंसिलिंग ही नहीं हुई। बताया जा रहा है कि इसके लिए प्रति छात्र लाखों रुपये लिए गए। इससे भी करोड़ों रुपये घोटालेबाजों ने जमा कर लिए। हालांकि, इन छात्रों से कितनी रकम ली गई इसका आकलन नहीं हो सका है।

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