उत्तराखंड से बड़ी खबर- UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

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उत्तराखंड से बड़ी खबर- UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

Dhami


 

देहरादून उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी UCC आज सोमवार से लागू हो गया है।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सोमवार 27 जनवरी 2025 को यूसीसी नियमावली और पोर्टल को लॉन्च कर दिया है। बता दें यूसीसी नियमावली और पोर्टल को लॉन्च करने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण किया। अब उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रभावी हो गया है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां यूसीसी लागू हो गया है। 

 

यूसीसी नियमावली में दिए गए प्रावधान के अनुरूप ही विवाह रजिस्ट्रेशन, तलाक पंजीकरण, वसीयत, समेत तमाम प्रक्रियाएं की जाएंगी।  साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने ये घोषणा की है कि आज का दिन राज्य में समान नागरिक संहिता के रूप में मनाया जाएगा। पोर्टल पर सबसे पहला रजिस्ट्रेशन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने करवाया है। मुख्य सचिव ने सीएम को पहला प्रमाण पत्र भी सौंपा। इसके अलावा 5 नायक/नायिकाओं को भी प्रमाण पत्र दिए गए हैं। जिनके नाम- निकिता नेगी रावत, मनोज रावत, अंजना रावत, मीनाक्षी और अंजलि हैं।

यूसीसी लागू होने के बाद लागू हुए यह नियम —

  • सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
  • 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
  • पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
  • पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
  • विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
  • महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
  • हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
  • कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
  • एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
  • पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
  • संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
  • जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
  • गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
  • कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
  • लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
  • लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
  • लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।

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