उत्तराखंड | शहीद बेटे को देख बिलख पड़ी मां, बोली- देखो मेरा शेर आ गया

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उत्तराखंड | शहीद बेटे को देख बिलख पड़ी मां, बोली- देखो मेरा शेर आ गया

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उत्तराखंड के रहने वाले भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के असिस्टेंट कमांडेंट टीकम सिंह नेगी एलआरपी के दौरान पूर्वी लददाख के नार्दन सब सेक्टर के जनरल एरिया चेनचेंगमो में शहीद हो गए। मंगलवार को प्रेमनगर स्थित श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। चचेरे भाई शुभम रावत ने शहीद की चिता को मुखाग्नि दी। नम आंखों से परिजनों और क्षेत्रवासियों ने शहीद को अंतिम विदाई दी।


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के रहने वाले भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के असिस्टेंट कमांडेंट टीकम सिंह नेगी एलआरपी के दौरान पूर्वी लददाख के नार्दन सब सेक्टर के जनरल एरिया चेनचेंगमो में शहीद हो गए। मंगलवार को प्रेमनगर स्थित श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। चचेरे भाई शुभम रावत ने शहीद की चिता को मुखाग्नि दी। नम आंखों से परिजनों और क्षेत्रवासियों ने शहीद को अंतिम विदाई दी। उनकी शवयात्रा में जब तक सूरज चांद रहेगा टीकम तेरा नाम रहेगा, भारत माता की जय के नारे गूंजते रहे। वह अपने खानदान के इकलौते चिराग थे। उनकी एक छोटी बहन माधुरी है, जिसका विवाह हो चुका है। टीकम के दादा और पिता भी परिवार के इकलौते चिराग थे। वहीं शहीद टीकम का भी एक ही बेटा है। टीकम के शहीद होने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है।

मंगलवार शाम करीब साढ़े तीन बजे शहीद टीकम सिंह नेगी का शव घर पहुंचा। शहीद के ताबूत को देख मां मनोरमा नेगी बिलख-बिलख कर रोने लगी। बोली मेरा शेर आ गया। मैं बेटे को ट्रेनिंग के लिए मसूरी छोड़कर आई थी। मेरा बेटा बहादुर था। अब मैं बिना बच्चे के कैसे रहूंगी। बोली मैं अपने बहादुर बेटे की शहादत पर आंसू नहीं बहाऊंगी। उन्होंने बेटे के शहीद होने पर आईटीबीपी के अधिकारियों के समक्ष नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें जवाब चाहिए कि आखिर बेटा कैसे शहीद हुआ। बिलखते हुए बोली उनके खानदान की तीन पीढ़ी फौज में रही। इस दौरान हर किसी की आंखें भर आईं। परिजनों और लोगों ने किसी तरह मां मनोरमा नेगी को ढांढस बंधाई।

बूढ़ी दादी मकानी देवी भी पोते के ताबूत को देख बिलख पड़ी। इस दौरान कई बार उन्होंने बेटे को सैल्यूट किया। जैसे ही शहीद के ताबूत को अंतिम यात्रा के लिए ट्रक में रखा जाने लगा, छोटी बहन माधुरी फूट-फूट कर रोने लगी। बोली अब मैं किसको भाई बोलूंगी, किसकी कलाई पर राखी बांधूंगी। नम आंखों से माधुरी ने भाई टीकम की अंतिम यात्रा को विदाई दी। इस दौरान पत्नी को ढांढस बंधाते हुए शहीद के पिता राजेंद्र सिंह नेगी बोले कि हम रोकर बेटे की शहादत को कम क्यों करें। शहीद के पिता राजेंद्र सिंह नेगी मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के सौराखाला गांव के निवासी थे। वर्षों पूर्व उनके पिता सहसपुर विकासखंड के राजावाला गांव में आकर बस गए थे।  टीकम सिंह नेगी अपने खानदान के इकलौते चिराग थे।

बता दें कि टीकम सिंह नेगी के दादा स्वर्गीय सुंदर सिंह नेगी फौज में थे। वे हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। पिता राजेंद्र सिंह नेगी भी फौज में रहे। वे सूबेदार मेजर के पद से रिटायर्ड हुए थे। यही वजह थी कि शहीद टीकम सिंह नेगी में भी वर्दी को लेकर जुनून था।

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