उत्तराखंड- एसटीएफ ने सरकारी भर्ती के नाम पर ठगने वाले गिरोह का किया भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार

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उत्तराखंड- एसटीएफ ने सरकारी भर्ती के नाम पर ठगने वाले गिरोह का किया भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार

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उत्तराखंड एसटीएफ ने सरकारी भर्ती के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।


 

देहरादून.(उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड एसटीएफ ने सरकारी भर्ती के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

 

 ये लोग भारतीय युवा खेल परिषद के नाम से बेवसाईट चलाकर बेरोजगार युवकों को धोखा दे रहे थे। यही नहीं, अब तक देशभर के कई राज्यों के युवकों को पीटी मास्टर, रेलवे विभाग, इनकम टैक्स विभाग में भर्ती कराने को लेकर लाखों की ठगी की गई। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के कब्जे से एक लैपटॉप, तीन मोबाईल फोन, भारतीय युवा खेल परिषद के दस्तावेजों को बरामद किया गया है। इस गिरोह के सदस्यों के खातों में विगत छह माह में करीब 55 लाख रूपये का लेनदेन भी मिला है। ये लोग युवकों को उनके चयन होने का लेटर देकर हरिद्वार स्थित एक आश्रम में प्रशिक्षण भी देते थे।

 

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने रविवार को बुलायी प्रेस कांफ्रेंस में  पत्रकार बताया गया कि कुछ दिन पहले एसटीएफ कार्यालय में उत्तराखंड के कुछ युवकों ने शिकायत की थी कि एक संगठित गिरोह भारतीय युवा खेल परिषद में फिजीकल एजुकेशन टीचर, भारतीय रेलवे, इन्कम टैक्स, आदि विभागों में सरकारी नौकरी के पदों के लिये आनलाइन आवेदन मांग रहा है। भर्ती कराने के एवज में फर्जी भर्ती सेन्टरों में ट्रेनिंग देकर मोटी रकम ली जा रही है। मामले की जांच के बाद पता चला कि इस गिरोह ने भारतीय युवा खेल परिषद नाम से एक बेवसाइट बनाई हुई है।

जिसमें फिजिकल एजुकेशन टीचर जैसे विभिन्न पदों के लिये आनलाइन आवेदन पत्र मांगे गए थे। और  रजिस्ट्रेशन के लिये 700 रूपये की फीस निर्धारित की गयी । बेवसाइट में काॅन्टेक्ट नम्बर भी जारी किये गये हैं।

 साथ इसी वेबसाइट में कांटेक्ट नम्बर भी जारी किये गये हैं। इस बेवसाइट पर दिये गये नम्बर पर जब कोई बेरोजगार युवक या युवती जानकारी करते थे, तो उन्हें रिसीव करने वाला व्यक्ति ये ही बताता था कि ये एक सरकारी संस्था है। इसमें विभिन्न पदों की भर्ती के लिये आपको पहले 700 रूपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क भरकर आवेदन करना होगा। उसके पश्चात सलेक्शन होने पर आपको ट्रेनिंग के लिए भेजा जायेगा।

इस मामले में कई युवकों ने संबंधित वेबसाइट में जाकर आनलाईन आवेदन पत्र भर दिया। कुछ दिन पश्चात सम्बन्धित युवक/युवती को अपने मूल डाक्यूमेन्ट जमा करने को कहा जाता है। फिर मेल के माध्यम से सम्बन्धित युवक/युवती को फिजीकल एजुकेशन टीचर पद के लिये उपयुक्त बताकर ट्रेनिंग के लिये हरिद्वार स्थित एक आश्रम में उपस्थित होने के लिये कहा जाता था। उसके बाद उनसे परमानेन्ट सलेक्शन के लिये करीब 1.5 से 02 लाख रूपये का खर्चा बताकर यूथ एसोसिएशन के नाम से बने खाते के अलावा अपने खातों में पैसा जमा करा दिया जाता था। फिर युवक और युवतियों को कुछ दिवस की ट्रेनिंग देने के पश्चात ज्वाईनिंग लेटर का इंतजार करने के लिये कहकर वापस भेज दिया जाता है। इसके बाद दोबारा उन्हें कोई सम्पर्क नहीं किया जाता है।

एसटीएफ की ओर से ठगी के शिकार हुये युवकों से पूछताछ करने पर ये बात भी सामने आयी कि इस गिरोह की ओर से फिजीकल एजुकेशन टीचर के नाम भर्ती करने लिये श्यामपुर स्थित एक आश्रम में युवकों को बकायदा पूरे एक माह की ट्रेनिंग दी गयी है। जहां पर इस गिरोह के लोगों द्वारा एक ट्रेनिंग दिलाने नाम पर कुछ ट्रेनर भी रखे गये थे। ट्रेनिंग के दौरान ही युवक/युवतियों को खाते के नम्बर देकर उनसे करीब 02 लाख रूपये जमा करा दिये जाते थे।

एसटीएफ ने अपनी जांच में भारतीय युवा खेल परिषद के बारे में जानकारी की गयी तो ज्ञात हुआ कि भारतीय युवा खेल परिषद के नाम से जारी बेवसाइट में आन लाइन फार्म में दिये जाने वाला रजिस्ट्रेशन शुल्क 700 रूपये आनन्द मेहतो के नाम से बने पेटीएम एकाउन्ट में जमा हो रहा है। इस एकाउन्ट में विगत 06 माह के अन्दर पूरे भारत के अलग अलग राज्यों से युवक और युवतियों द्वारा आन लाइन रजिस्ट्रेशन किया गया है। भारतीय युवा खेल परिषद के नाम से बेरोजगार युवकों से प्राप्त की जा रही धनराशि यूथ एसोषिएसन के नाम के खाते में जमा हुयी है। इसका संचालक आनन्द कुमार मेहतो, राखी रानी और मनीष कुमार नाम के लोग हैं। इस खाते के अलावा युवक और युवतियों द्वारा दिये गये खातों की जानकारी की गयी तो विगत 06 माह में लगभग 55 लाख रूपये की धनराशि पायी गयी थी।

जांच में इस गिरोह के आनन्द कुमार मेहतो, राखी रानी और मनीष कुमार के अलावा अन्य सदस्य योगेन्द्र कुमार योगेश, संजय रावत, राजकुमार उर्फ राजवरी, संदीप सिंह का नाम प्रकाश में आए। इनमें से तीन सदस्य आनन्द मेहतो, योगेश और संजय रावत की कल रात गिरप्तारी की गयी है। उनके कब्जे से एक लैपटाप, 03 मोबाईल फोन, भा.यु. खेल परिषद के बनाये हुये कई दस्तावेज आदि बरामद किये गये हैं। इनके विरूद्ध एसटीएफ द्वारा थाना श्यामपुर हरिद्वार में मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। गिरोह के सदस्यों के खातों के अलावा अन्य प्रकाश में आये खातों को फ्रिज करने के लिए एसटीएफ की ओर से कार्रवाई की जा रही है। अन्य सदस्यों की गिरप्तारी के लिए धरपकड़ जारी है।

इन्हें किया गया गिरफ्तार

1.आनन्द मेहतो पुत्र स्व. हरिलाल मेहतो निवासी उर्दू बाजार भागलपुर बिहार हाल किरायेदार कीनू राणा, प्लाट नं0 10, सेक्टर 22, चैड़ा गांव नोयडा (गिरोह का सरगना और भायुखेप का प्रशासक)

2.योगेन्द्र कुमार योगेश पुत्र कृष्णा देव प्रसाद निवासी डी-278 नई अशोक नगर बसुन्धरा एन्कलेव पूर्वी दिल्ली।

3. संजय रावत पुत्र मनवर सिंह म.नं. 301 जलालपुर रोड, राधेष्याम विहार, फेस-4, मुरादनगर गाजियाबाद (भायुखेप का निदेशक)

पूछताछ में आनन्द मेहतो ने बताया गया कि वो 12वीं पास है। उसे कुछ समय पहले मनीष कुमार नाम का एक लड़का मिला, जो बिहार का ही रहने वाला है। उसने उसे इस काम के बारे में बताया। इसके लिए उसने और योगेश ने भारतीय युवा खेल परिषद के नाम से वेबसाईट बनायी और उसमें फर्जी नाम से एक सिम खरीद कर कांटेक्ट नम्बर दे दिया।उसमे आनलाइन भर्ती फार्म के आप्सन को डाला दिया। जिसकी फीस 700 रूपये रखी, जो कि उसके मोबाईल के patym एकाउन्ट में आती थी।

युवाओं को सरकारी जाब और ट्रेनिंग दिलाने के नाम पर कमिशन एजेन्ट रखे गये थे। उनमें प्रत्येक युवक/युवती के लिये कमिशन 10 से 40 हजार रूपये दिया जाता था। कमिशन एजेन्टों से सम्पर्क में आये युवकों से भारतीय युवा खेल परिषद में ट्रेनिंग और जाव के नाम पर 1.5 से 02 लाख रूपये युथ एसोसिएशन के नाम से खोले गये खाते में प्राप्त करता था। युवकों को ट्रेनिंग देने के लिये अलग से ट्रेनर भी रखे थे जिनको हम 15 से 20 हजार रूपये प्रतिमाह की सेलरी देते थे।

पुछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि उनके झांसे में बेरोजगार युवक इसलिये आ जाते थे, कि उन्होंने इस काम के लिये भारतीय युवा खेल परिषद नाम से अपना अच्छा सा आफिस खोला हुआ था। कुछ समय पश्चात आफिस की लोकेशन को बदल दिया जाता था। पूछताछ में संजय रावत ने बताया कि आनन्द मेहतो, योगेश की ओर से उसे बेरोजगार युवकों को नौकरी के बारे में तथा बेवसाइट की जानकारी देकर उपलब्ध कराने का काम दिया गया था। उसे एक युवक को उपलब्ध कराने के लिए 10 से 20 हजार रूपये का कमिशन दिया जाता था। वे लोग युवाओं को रेलवे विभाग, इनकम टैक्स विभाग में नौकरी लगाने के लिये अथवा विदेश भेजने के नाम पर भी ठगी करते थे। इसके लिए बकायदा सम्बन्धित विभागों के फर्जी नियुक्ति पत्र युवाओं को जारी किये जाते थे।

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