ज़ायका उत्तराखंड का : ऐसे तैयार होती है आपकी मनपसंद ‘सिंगोड़ी’
हल्द्वानी (नैनीताल) [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] मालू पत्तों के अन्दर ‘पतबीड़ा’ के ढाल में ढली सिंगोड़ी का स्वाद जिसने नहीं चखा उसने ज़रूर एक शानदार चीज़ मिस कर दी। ये एक तरह का पेड़ा होता है जिसे मावे से बनाया जाता है। दरअसल इस मिठाई की खासियत ये है कि इसे सिंगोड़ी के पत्ते में लपेटकर
हल्द्वानी (नैनीताल) [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] मालू पत्तों के अन्दर ‘पतबीड़ा’ के ढाल में ढली सिंगोड़ी का स्वाद जिसने नहीं चखा उसने ज़रूर एक शानदार चीज़ मिस कर दी। ये एक तरह का पेड़ा होता है जिसे मावे से बनाया जाता है। दरअसल इस मिठाई की खासियत ये है कि इसे सिंगोड़ी के पत्ते में लपेटकर रखा जाता है। इस मिठाई को बनाने के लिए पेड़े को नौ से दस घंटे तक पत्ते में लपेट कर रखा जाता है जिसके बाद पत्ते की खुशबू पेड़े में आ जाती है। यही खुशबू इस मिठाई की पहचान है।
- एक किलोग्राम खोया
- 300 ग्राम चीनी
- 200 ग्राम नारियल, कद्दूकस किया हुआ
- एक ग्राम छोटी इलायची का पाउडर
- मालू के पत्ते
विधि
- एक कड़ाही में खोये को धीमी आंच पर चीनी डालकर पकाएं।
- जब चीनी मिल जाए तो कद्दूकस किया नारियल और हरी इलायची पाउडर डालकर मिला लें।
- 2-3 मिनट तक इसे भूनें।
- अब गैस बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा होने दें।
- तिकोने आकार में मालू के पत्ते के अंदर खोया भर दें।
- इस मिठाई को बनाने के लिए पेड़े को 9-10 घंटे तक पत्ते में लपेट कर रखें जिससे पत्ते की खुशबू मिठाई में आ जाए. यही खुशबू इस मिठाई की पहचान है।
- नोट : मालू के पत्ते आसानी से मार्केट में मिल जाते हैं।
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