चीन में कोरोना की तबाही दुनिया की बढ़ गई चिंता, भारत में एक्सपर्ट ने कही ये बात
चीन में कोरोना बढ़ते कोरोना के ग्राफ ने एक बार फिर दुनिया को चिंता में डाल दिया है। पिछले कुछ दिनों में चीन में लाखों लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। अब वहां मामलों में भारी इजाफा हो रहा है।
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) चीन में कोरोना बढ़ते कोरोना के ग्राफ ने एक बार फिर दुनिया को चिंता में डाल दिया है। पिछले कुछ दिनों में चीन में लाखों लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। अब वहां मामलों में भारी इजाफा हो रहा है।
जब से चीन में जीरो-कोविड पॉलिसी खत्म हुई है तब से वहां हालात बिगड़ गए है। कोरोना से बड़े पैमाने पर लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। हालात इतने गंभीर हैं कि अस्पतालों के बेड भरे हुए हैं और राजधानी बीजिंग के श्मशानों में अपनों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को 24 घंटे का वेट करना पड़ रहा है।
ये कहना गलत नहीं होगा कि चीन कोरोना के सबसे खराब दौर का सामना कर रहा है जिसमें लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हैं और देश की आबादी पर कोरोना के और भी गंभीर रूप की चपेट में आने का खतरा मंडरा रहा है। चीन के शहरों खासतौर पर राजधानी बीजिंग के अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं। वहीं, मुर्दाघर उन लोगों के शवों से भरे हुए हैं जिन्होंने कोरोना से दम तोड़ा है. हालांकि अभी तक अस्पताल में भर्ती मरीजों पर चीन की सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। चीन हमेशा से ही आंकड़े छिपाने में आगे रहा है।
चीन में कोरोना से बिगड़े हालात पर भारत समेत दुनिया भर के देश बेहद चिंतित हैं। पड़ोसी देश होने की वजह से भारत में भी लोग काफी डर रहे हैं। हालांकि देश के वायरोलॉजिस्ट और विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चीन जैसे हालात होने की संभावना कम है। उनका तर्क है कि यह देश पहले ही कीमत अदा कर चुका है।
जानी-मानी वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कैंग कहती हैं, ''चीन में इस समय भयंकर ठंड का मौसम है। अगर मौसम के साथ गणितीय आकलन किया जाए तो ऐसा अनुमान है कि चीन में संक्रमण की कुल संख्या 80 करोड़ तक हो सकती है और अगले तीन महीनों में पांच से 20 लाख लोगों की मौतें हो सकती हैं।'' इसके कई कारण हैं जिनमें सबसे पहला कारण है कि वहां की बुजुर्ग आबादी के बीच जरूरत से कम टीकाकरण हुआ था. दूसरा कारण यह है कि बूस्टर डोज प्रभावी ढंग से लोगों के बीच नहीं लगाया गया। तीसरा कारण यह है कि चीन अब तक बड़े पैमाने पर क्वारंटाइन और कड़े यात्रा प्रतिबंध लगा रहा था जिसे हाल ही में लगभग तीन वर्षों के बाद लोगों के बढ़ते विरोध के बीच हटाया गया था।
20 दिसंबर तक चीन में संक्रमण के 10,72,004 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मौतों की संख्या 31,309 थी। ऐसे में क्या भारत के लिए क्या खतरे वाली बात है. इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि भारत अब तक तीन COVID-19 वेव्स से जूझ चुका है. पिछले साल डेल्टा वैरिएंट से हालात बिगड़ने की आशंका थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 20 दिसंबर को भारत में एक्टिव केस 3,559 से कम थे। इसके साथ ही चीन में वर्तमान में ओमिक्रॉन के कुछ तेजी से फैलने वाले वैरिएंट मौजूद हैं जिनमें बीएफ.7 भी शामिल है।
भारत में भी इन वैरिएंट की जांच जारी है और भारत के SARS CoV 2 जीनोमिक सर्विलांस प्रोग्राम या INSACOG के डेटा से पता चलता है कि BF.7 भी महीनों से यहां मौजूद है. यही वजह है कि विशेषज्ञ भारत में इन हालात को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं। INSACOG के साथ नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-IGIB) के निदेशक के रूप में जुड़े रहे डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने कहा, ''मुझे भारत में इस तरह के हालात दोबारा बनने के आसार नजर नहीं आते हैं।''
अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के बायोसाइंसेज एंड हेल्थ रिसर्च डिपार्टमेंट के डीन अनुराग अग्रवाल ने कहा, भारत की आबादी की इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) बहुत अधिक है और हमारे शोध से पता चलता है कि ज्यादातर लोग पहले से ही ओमिक्रॉन से संक्रमित हो चुके हैं जिनमें काफी लोगों को डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों तरह के संक्रमण हुए थेष अग्रवाल ने कहा, ''भारत के बड़े टीकाकरण कार्यक्रम की वजह से लोगों को मिली अतिरिक्त इम्युनिटी कोरोना के प्रभाव की आशंका को कम करती है। इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं कि हमने पहले ही कीमत चुका दी है।''
कैंग ने भी यह भी कहा कि चीन में जो हो रहा है उससे भारत पर सीधे तौर पर असर पड़ने की संभावना नहीं है, जब तक कि यहां कोई नया वैरिएंट सामने नहीं आता। उन्होंने अपनी बात को समझाते हुए बताया, ''इसके अतिरिक्त भारत और चीन के बीच अंतर यह है कि अधिकांश भारत में हाइब्रिड प्रतिरक्षा है, भले ही हमारे यहां बूस्टर डोज कम लगी हैं लेकिन दूसरों के साथ हमारे संपर्क की प्रक्रिया में बदलाव की संभावना नहीं है क्योंकि हमारे यहां काफी समय से यात्राओं में प्रतिबंध नहीं लगा है।''
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