फिर से हुआ जयललिता का अंतिम संस्कार, ये है वजह…
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का अंतिम संस्कार को लेकर विवाद गहरा गया है। जया के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार नहीं किए जाने का विरोध हो रहा है। जयललिता अयंगकर समुदाय से जुड़ी हुई है, और इस समुदाय में पार्थिव शरीर के दाह की परंपरा है। जिसके बाद श्रीरंगापट्टनम में जयललिता का सांकेतिक दाह किया
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का अंतिम संस्कार को लेकर विवाद गहरा गया है। जया के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार नहीं किए जाने का विरोध हो रहा है।
जयललिता अयंगकर समुदाय से जुड़ी हुई है, और इस समुदाय में पार्थिव शरीर के दाह की परंपरा है। जिसके बाद श्रीरंगापट्टनम में जयललिता का सांकेतिक दाह किया गया। इस बार जया का दाह संस्कार अयंगकर समुदाय के रीति-रिवाज से किया गया।
जया के शव की जगह एक गुड़िया को उनकी प्रतिकृति मानते हुए रखा गया। आचार्य रंगनाथ ने रस्में पूरी करवाईं। जया के सौतेले भाई वासुदेवन के करीबी वरदराजन का मानना है कि जयललिता को दफनाया गया, न कि उनका दाह संस्कार किया गया, इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो, इसलिए ये दाह संस्कार किया गया।
गौरतलब है कि जयललिता के पार्थिव शरीर को मरीना बीच पर उनके राजनीतिक गुरु एमजीआर के पास ही दफनाया गया था। इसके पीछे तर्क दिया गया था जया का द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना। द्रविड़ आंदोलन जो हिंदू धर्म के किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और रस्म में यकीन नहीं रखता। जया एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख थीं, जिसकी नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी। एमजीआर को भी उनकी मौत के बाद दफनाया गया था।
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