कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजे देगी मोदी सरकार!
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि कोरोना से मरने वालों लोगों के परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग पर सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार कर रही है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस पर जल्द ही निर्णय ले लिया जाएगा।
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) कोरोना की पहली और दूसरी लहर में कई लोगों की जान इस वायरस ने ली है। अब इस बीच उन लोगों के लिए एक राहत भरी खबर ये आ रही है, जिन्होंने अपनों को खोया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि कोरोना से मरने वालों लोगों के परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग पर सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार कर रही है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस पर जल्द ही निर्णय ले लिया जाएगा।
केंद्र ने मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत की सही वजह दर्ज करने की मांग पर भी जवाब के लिए समय का अनुरोध किया। कोर्ट ने सरकार को जवाब के लिए 10 दिन का समय देते हुए 21 जून को अगली सुनवाई की बात कही।
आपको बता दें कि इस मामले पर जस्टिस अशोक भूषण और एम आर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार को 24 मई को नोटिस जारी किया था। केंद्र की तरफ से आज पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस याचिका के खिलाफ नहीं है। मामले को पूरी सहानुभूति के साथ देखा जा रहा है।
जजों ने कहा कि बिहार जैसे कुछ राज्यों ने अपनी तरफ से 4 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है, लेकिन अधिकतर राज्यों ने अपनी नीति तय नहीं की है। इस पर मेहता ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर बहुत जल्द नीति तय कर ली जाएगी। कोरोना के प्रबंधन से जुड़े दूसरे मामलों में व्यस्तता के चलते इसमें कुछ समय लग गया।
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से 2 हफ्ते का समय मांगा, लेकिन जजों ने कहा कि वह ग्रीष्म अवकाश के दौरान ही इस मामले का निपटारा कर देना चाहते हैं। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने 10 दिन मामले को सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया।
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट में 2 वकीलों गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल की तरफ से याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 12 में आपदा से मरने वाले लोगों के लिए सरकारी मुआवजे का प्रावधान है। पिछले साल केंद्र ने सभी राज्यों को कोरोना से मरने वाले लोगों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए कहा था। इस साल ऐसा नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि अस्पताल से मृतकों को सीधा अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है। न उनका पोस्टमॉर्टम होता है, न डेथ सर्टिफिकेट में लिखा जाता है कि मृत्यु का कारण कोरोना था। ऐसे में अगर मुआवजे की योजना शुरू भी होती है तो लोग उसका लाभ नहीं ले पाएंगे।
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