मुख्तार अंसारी ने करवाया था हमला, बाल-बाल बची थी योगी आदित्यनाथ की जान, जानिए क्या हुआ था ?

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मुख्तार अंसारी ने करवाया था हमला, बाल-बाल बची थी योगी आदित्यनाथ की जान, जानिए क्या हुआ था ?

Yogi Mukhtar

उस समय के सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी और कहा था कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को इंसाफ दिला के रहेंगे। मऊ दंगों के तीन साल बाद यानी साल 2008 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को फिर ललकारा।


 

लखनऊ (उत्तराखंड पोस्ट) बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात मौत हो गई। रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील कौशल ने बताया कि मुख्‍तार की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई है।

माफिया मुख्तार अंसारी का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। 2005 के मऊ दंगे के बाद से यूपी के गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी के आंतक के खिलाफ मोर्चा खोला था। जेल जाने से पहले माफिया मुख्तार अंसारी का खौफ लोगों में छाया था और 2005 में मऊ में भीषण दंगा हो गया। मुख्तार अंसारी वहां पर हथियारों को लहराते हुए खुली जीप में घूम रहा था। लोग उसके डर के साए में जी रहे थ।
उस समय के सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी और कहा था कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को इंसाफ दिला के रहेंगे। मऊ दंगों के तीन साल बाद यानी साल 2008 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को फिर ललकारा।
बाल-बाल बचे योगी आदित्यानाथ!
योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में ऐलान किया कि वह आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली निकालेंगे लेकिन जब योगी आदित्यनाथ का काफिला निकला तो काफिले के ऊपर हमला हो गया था। गनीमत रही कि किसी तरह योगी आदित्यनाथ ने अपनी जान बचा ली थी, जिस गाड़ी पर हमला हुआ उससे ऐन मौके पर योगी आदित्यनाथ निकल गए थे।
योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया था कि ये हमला मुख्तार अंसारी ने कराया था, जिसके बाद से हमेशा योगी आदित्यनाथ, मुख्तार अंसारी के खौफ के खिलाफ लड़ते रहे और जब राज्य के सीएम बने तो मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लाकर कोर्ट से कई मामलों में सजा दिलाई।
गुनाहों की लंबी फेरहिस्त
माफिया मुख्तार अंसारी के गुनाहों की फेहरिश्त बड़ी लंबी है।माफिया मुख्तार अंसारी पर करीब 65 मामले दर्ज थे और उन्हीं में एक मामला है फर्जी शस्त्र लाइसेंस लेने का था। माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि उसने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था फिर डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस ले लिया था। फर्जीवाड़ा उजागर होने पर सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी और तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर सहित पांच के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। इस मामले में कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। 
मुख्तार अंसारी पर लाइट मशीन गन खरीदने की योजना बनाने का भी आरोप लगा था, जिसका खुलासा एक रिकॉर्डिग से हुआ था।जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था। हालांकि, मुख्तार अंसारी का रसूख उस वक्त इतना था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह से मामले को रद्द करा दिया था।
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या
मुख्तार अंसारी कई मामलों में दोषी थे, उन्हें बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में 29 अप्रैल 2023 को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। कृष्णानंद राय साल 2002 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मोहम्मदाबाद सीट से विधायक चुने गए थे।
उत्तर प्रदेश की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से कृष्णानंद राय की जीत को मुख्तार अंसारी और उनके बड़े भाई और बीएसपी लीडर अफजाल अंसारी बर्दाश्त नहीं कर पाए, उन्हें क्षेत्र में अपना दबदबा समाप्त होने का डर सताने लगा था।
मुख्तार अंसारी के गैंग ने यूपी के बसनिया चट्टी इलाके में कृष्णानंद के काफिले पर नवंबर 2005 को हमला कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शूटआउट के दौरान छह एके 47 से 500 राउंड गोलियां चली थीं, जिसमें कृष्णानंद राय समेत छह लोगों की मौत हो गई थी।
घटना से पूरा उत्तर प्रदेश दहल गया था। लोगों में गैंगस्टर और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा था। इस मामले में मुख्तार अंसारी और उनके बड़े भाई को कोर्ट ने साल 2019 में बरी कर दिया था, लेकिन गैंगस्टर को 2023 में कृष्णानंद राय को मारने के जुर्म में 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।

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