बड़ा फैसला | बाबरी केस में आडवाणी समेत 13 नेताओं पर चलेगा केस

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बड़ा फैसला | बाबरी केस में आडवाणी समेत 13 नेताओं पर चलेगा केस

उत्तराखंड पोस्ट | 19 अप्रैल | ऩई दिल्ली | अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को तगड़ा झटका दिया है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App – उत्तराखंड पोस्ट सर्वोच्च अदालत ने मामले


बड़ा फैसला | बाबरी केस में आडवाणी समेत 13 नेताओं पर चलेगा केस

उत्तराखंड पोस्ट | 19 अप्रैल | ऩई दिल्ली |  अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को तगड़ा झटका दिया है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App – उत्तराखंड पोस्ट

सर्वोच्च अदालत ने मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 10 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। न्यायाधीश पीसी घोष और न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन की संयुक्त पीठ ने मामले में सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया है।

कल्‍याण सिंह के खिलाफ फिलहाल कोई केस नहीं चलेगा। कल्‍याण सिंह गवर्नर के पद पर हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उन पर मुकदमा चलाने का आदेश नहीं दिया है।

बड़ा फैसला | बाबरी केस में आडवाणी समेत 13 नेताओं पर चलेगा केस

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े दो मुकदमे एक साथ चलाने के निर्देश दिए हैं। इनमें से एक मामला लखनऊ में है, दूसरा रायबरेली में। कोर्ट ने कहा है कि दोनों मामलों की साझा सुनवाई रोजाना लखनऊ की कोर्ट में हो। साथ ही कोर्ट ने दो साल के भीतर दोनों मामले निपटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि फैसला आने तक जज का ट्रांसफर नहीं होना चाहिए।

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गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के दो मामलों पर ट्रायल चल रहा है। नेताओं को आरोपमुक्त करने के 2001 के फैसले को सीबीआई ने तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी थी, लेकिन तीसरे पक्षकार असलम भूरे ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद भूरे की पुनर्विचार और क्यूरेटिव याचिका भी खारिज हो गई थी। इस तरह वह आदेश अंतिम और बाध्यकारी हो चुका है। सीबीआइ ने इस मामले में 20 मई 2010 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने 2001 के फैसले पर मुहर लगा दी थी।

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