बांग्लादेशी हिंदुओं के भोजन और वस्त्र की व्यवस्था करेंगे ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरान्द, राष्ट्रपति को लिखा पत्र
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि देश में करीब सवा करोड़ रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठिए रह रहे हैं। इनको डिपोर्ट किया जाए. साथ ही बांग्लादेश में पीड़ित हिंदुओं को देश में शरण और नागरिकता दी जाए। भारत आने वाले सभी हिंदुओं के खाने और कपड़ों की व्यवस्था को खुद करेंगे।
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है। इसमें देश में रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को निकालने और बांग्लादेश में पीड़ित हिंदुओं को शरण देने की मांग की है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि देश में करीब सवा करोड़ रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठिए रह रहे हैं। इनको डिपोर्ट किया जाए। साथ ही बांग्लादेश में पीड़ित हिंदुओं को देश में शरण और नागरिकता दी जाए। भारत आने वाले सभी हिंदुओं के खाने और कपड़ों की व्यवस्था को खुद करेंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में शंकराचार्य ने कहा है कि दुनिया भर के हिंदुओं के गुरु होने के नाते मैं आपका ध्यान इस भयावह तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 के दिन हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से वहां के मूल निवासी अल्पसंख्यक हिंदुओं की नृशंस हत्या की जा रही है। हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया जा रहा है। उनकी संपत्तियों को नष्ट किया जा रहा है। वहां की मौजूदा सत्ता हिंदुओं पर उपद्रवी तत्वों द्वारा किए जा रहे बर्बर अत्याचारों को रोकने में अब तक समर्थ नहीं हो सकी है।
पत्र में आगे कहा गया है कि सब जानते है कि 1947 में भारत का विभाजन चरमपंथियों की इसी चिंतनधारा के आधार पर हुआ था कि हिंदुओं और मुस्लिमों की धार्मिक मान्यताओं, रूढ़ियों, प्रथाओं, उपासना पद्धतियों, सभ्यताओं , संस्कृतियों, इतिहास आदि के अंतर के कारण ये दोनों दो अलग-अलग देश हैं, इनसे एक राष्ट्र का निर्माण नहीं किया जा सकता है। उनकी इसी सोच के आधार पर भारत का विभाजन हुआ. इसके कारण 14 अगस्त 1948 को पाकिस्तान का जन्म हुआ।
पाकिस्तान के विभाजन के बाद 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के समक्ष किए गए आत्मसमर्पण के फलस्वरूप बांग्लादेश अस्तित्व में आया। विभाजन के बाद जब मुसलमान जनसंख्या का भारत से पाकिस्तान और हिंदू जनसंख्या का पाकिस्तान से भारत आव्रजन हो रहा था, उस समय उपद्रवियों ने कई लाख आवाजाही कर रहे लोगों की हत्या कर दी थी।
इसके कारण जनसंख्या की अदला-बदली का काम रोक दिया गया था। लुई माउंटबेटन की सलाह पर पाकिस्तानी सत्ता के शिखर पुरुष मुहम्मद अली जिन्ना और भारतीय सत्ता के कर्णधारों जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यह आश्वासन दिया कि अब किसी को अपना देश छोड़ने की जरूरत नहीं है, जो जहां है वहीं रहे। उनके धर्म, जीवन और संपत्ति की सुरक्षा उन्हीं के मूल स्थान पर वहां की शासन सत्ता सुनिश्चित करेगी।
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आगे कहा- ऐसी स्थिति में बांग्लादेश में रह रहे वहां के मूल निवासी हिंदुओं, जिनके पूर्वज विभाजन के पूर्व भारत के ही नागरिक थे, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करवाना भारत सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। भारत सरकार की ओर से पारित गए नागरिक संशोधन अधिनियम-2019 के तहत 31 दिसंबर 2014 तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से विस्थापित भारत में प्रवेश कर चुके हिंदुओं और उसके व्युत्पन्नों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान से भी यह द्योतित होता है कि वर्तमान भारत सरकार को अपनी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दिए गए वचन का न ही केवल बोध है बल्कि इसके लिए वह प्रतिबद्ध भी है।
विविध माध्यमों से ज्ञात होता है कि भारत में सवा करोड़ के लगभग रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठिए रह रहे हैं उनको अविलम्ब भारत से उनके देश में भेज कर भारत को अपना भार हल्का कर आपततः हमारे हिन्दुओं को जिनके लिए यह राष्ट्र बना है उन हिन्दुओं को हिन्दुओं के प्रबल समर्थक एवं रक्षक माने जाने वाले माननीय प्रधान मन्त्री श्रीमान नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी के नेतृत्व वाली आपकी सरकार को तत्काल अल्पकालिक शरण देनी चाहिए पश्चात् उनके लिए बांग्लादेश के भीतर उनको सुरक्षित रूप से रहने की स्थायी व्यवस्था हेतु वर्ष १९७१ ई० में भारत सरकार द्वारा शरणार्थियों की समस्या के स्थायी समाधान हेतु उठाए गए कदमों की भाँति सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आगे कहा- ऐसी स्थिति में आपसे और आपके माध्यम से माननीय प्रधान मन्त्री जी से मेरा यह व्यक्तिगत और सभी हिन्दुओं की ओर से उनके जगद्गुरु के रूप में यह साग्रह अनुरोध है कि जब तक बांग्लादेश के अन्दर हिन्दुओं की सुरक्षा व्यवस्था पूर्णरूपेण सुनिश्चित नहीं कर ली जाती तब तक वहाँ से पलायन कर भारत की सीमा पर एकत्रित हुए *करुणा की पुकार कर रहे बांग्लादेशी हिन्दुओं को भारत में सेना और प्रशासन के नियन्त्रण में शरण दी जाए। हम यह वचन देते हैं कि उन शरणार्थी हिन्दुओं के भोजन और वस्त्र पर होने वाले व्यय भार का वहन हम हिन्दू धर्माचार्य, हमारे धर्मावलम्बी और हमारे हिन्दू धन कुबेर करेंगे एतदर्थ हम सरकारी कोष पर भार नहीं आने देंगे। हमारे हिन्दुओं की रक्षा करें ।
विश्व में कहीं भी हिन्दुओं पर संकट आए तो भारत की भूमि से यह स्पष्ट सन्देश सदा रहना चाहिए कि विपत्ति आने पर हिन्दू अपने भारत देश में कभी भी जाकर शरण ले सकते हैं।
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