उत्तराखंड | छलका हरीश रावत का दर्द, कहा- मुझे क्षमा कर दें, लेकिन चुनाव जीता दें

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उत्तराखंड | छलका हरीश रावत का दर्द, कहा- मुझे क्षमा कर दें, लेकिन चुनाव जीता दें

उत्तराखंड | छलका हरीश रावत का दर्द, कहा- मुझे क्षमा कर दें, लेकिन चुनाव जीता दें

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सल्ट विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार गंगा पंचोली के लिए क्षेत्र के मतदाताओं से एक विनम्र अपील की है। हरीश रावत ने न सिर्फ लोगों से गंगा को जिताने की अपील की है बल्कि क्षेत्रवासियों को भरोसा दिलाया है कि गंगा पंचोली क्षेत्र की राजनीति के लिए भविष्य की गंगा साबित होगी।


नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सल्ट विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार गंगा पंचोली के लिए क्षेत्र के मतदाताओं से एक विनम्र अपील की है। हरीश रावत ने न सिर्फ लोगों से गंगा को जिताने की अपील की है बल्कि क्षेत्रवासियों को भरोसा दिलाया है कि गंगा पंचोली क्षेत्र की राजनीति के लिए भविष्य की गंगा साबित होगी।

नीचे पढ़िए हरीश रावत की फेसबुक पोस्ट-

#गंगा, मैं तेरे लिये सब लोगों से फिर से प्रार्थना करने के लिये आया हॅू, गंगा को विजय बना दीजिये। गंगा, उत्तराखण्ड के इस क्षेत्र की राजनीति के लिये भविष्य की गंगा साबित होगी, विकास को नया आयाम देगी, सेवाभाव को आगे बढ़ायेगी, मुझे पूरा भरोसा है, गंगा तुम्हारे कौशल पर, मुझे पूरा भरोसा है तुम्हारी सूझबूझ पर। करला नै, द्यला गंगा को वोट। मेरी प्रार्थना छ आपू सब लोगों हैं। लगभग 45 सालक तपस्याक बाद भगवान शिवजील मैंकें अवसर दे, उत्तराखण्डक मुख्यमंत्री बननक। सब जाग बिखराव छीं, टूट-फूट, बर्बादी छीं, लेकिन म्यर मन में शिव भाव एक संकल्प उभर रछीं। कुछ दिन, जसिक काम शुरू करछीं, एक दिन हवाई दुर्घटना में द्वी जाग गर्दन टूट गैछीं। जब एम्स में भर्ती हुनक बाद बीजापुर गेस्ट हाउस आयूं, रोज रैति छः बैजी पूरन पूछछीं सैप उठ जाओ, अब आंख ख्वैल दियो। सैप मन में सोचछीं कि भगवन जब आखिरी बार म्यर आंख खुली या इसकें विकलांग मुख्यमंत्रीक तौर पर यां बटी निकल जौंल? म्यर घरवाली जब आंखों कैं डब-डबाई पाणीक साथ म्यर तरफ देखीछीं, तो वैक मन में एक भाव रैंछीं कैं यश तो न हो कि म्यर पति विकलांग है बेर इसीकें मर जैंल और मैं भगवान हों प्रार्थना करछीं हे भगवन कतुकें लैं मेरी गलती रही, भूल-चूक रई, मैंकें क्षमा कर दें भगवन।

मगर या तें वो घर में मैंकें ठाण कर बेर भेज दियो या म्यर प्राण निकाल द्यो, ताकि राजकीय यात्राक साथ म्यर अंतिम विदाई है जैवें या म्यर साथ म्येरी 45 सालक तपस्यालें दफन है जैवें। सुन लिया ईष्ट देवता, कुल देवता, ग्वैल देवता, सबूल सुणी मैं फिर ठाड़ है ग्यों और जब ठाड़ हैयों कुछ न कुछ करों मैल, कां नीं कर, कै धार लीजि नीं कर, 2002 में मुख्यमंत्री बनन छीं, स्वप्न ध्वस्त है गौ, कोई और मुख्यमंत्री बन गई। लेकिन मैल उमें लैं सब धारों लीजि विकासक जागर की, धात और थाप सुणैं लोगों कैं और विकैं परिणाम छीं धार-धार में धार-2 में विकास हों और नई-2 डेवलपमेंट हों और मुख्यमंत्री बनूं, जतुक लें अवसर छी. मैल वीक मौक करबेर हालात लें सुधारी और जगह-2 कोई गाड़, कोई गधर, कोई धार, कोई मैदान, पहाड़ कैं लें, कोई क्षेत्र लैं, मैंल विकासक बिना न छोड़ी, जैल जे क सम्भव-असम्भव, सब सम्भव ह, ये सब देवता तेरी ताकत छीं, म्येरी ताकत नीं छीं। आज कहं कुनूं, मैं पुकार-पुकार बेर जो हैं, कोई छा यश बताओ न? कोई जब म्यर दगड़ी हैं, विकास पुरूष कनीं विक कामों क बता बेर, मैंकें छप-छप लागि म्यर मन में, लेकिन कोई अघील आ बेर कौणक लीजि तैयार न छी कि यौं छ, जैल यौ करो सबकुछ। जैक साहरल यौ सम्भव करौ। रस्त आदुक लै पार न कर पाछीं केन्द्र सरकारल पूर ताकत क साथ दल-बदल करवै बेर म्यर सरकार कैं तोड़ बेर, सब कुछ ध्वस्त कर दी।

मैं लड़यूं , गंगलोड़क तरह लड़यूं और फिर ठाड़ हयों, एक नई इतिहास आपुक सब लोगोंक कृपाल, उत्तराखण्डियों कृपाल, लोकतंत्र में बनाछ, लोकतंत्रक इतिहास लै बनाछ, लेकिन एक और लै इतिहास दगड़-दगड़ रचि, मैं द्वीं सीटों पर एक साथ चुनाव हार ग्यूं। कैं बात न छ, चुनाव में हार-जीत हैं। म्यर लै हार-जीत है गे, मैंकें कोई रंज न छीं यौ बातक, मगर 70 विधानसभा सीटों में 11-11 कतुक अंहकार छ, कतुक दम्भ छ इन शब्दों में, कतुक वेदना छ। म्यर मन कैं अन्दर तक छेद द्यों यो, एक कल्पना छ मन में आज सबौक दरवाज पर ठाड़ छौं कि सम्भव छ एक सीट दीबेर म्यर माथ पर लगी हुई (म्यर सर पर) कोई यौ लेख कैं मिटा द्यौं, ग्यारक - बारह कर द्यौं न, इकें लोकतंत्र में कि जा तुमर, बारह कर द्यौं, बहुत प्रलोभन मिलौल, बहुत चीज मिलौल, यह अवसर म्यर एक विकास कार्यकर्ताक पुकार छ, मैंल हे देवता एक विकास कार्यकर्ता, हे देव भूमिया, हे ग्राम देवता, हे ग्वैल देवता, यदि तेरी धरतीक चूर-चूर में हर जगह मैंल कुछ न कुछ करौं, त्यर लोगाों क लीजि, सबौंक लीजि करौं, गरीब-अमीर, छ्वट-ठुल, मैदान, पहाड़, कसलें छीं, शिल्पकार छीं, बेरोजगार छीं, नौजवान छीं, मॉ-बैंणी छीं, विकंलाग छीं, कसलें छीं, जा म्यर दरवाज पर आ, हे भगवन यदि मैंल आपुण दरवाज पर आयी कैं लीजि मना कीं या कुछ न कर पायौं तो मैंकें माफ कर दिया।

लेकिन यदि मैंने कुछ किया है तो आज यह हरीश रावत जिस समय कोरोना से संघर्ष करके किसी तरीके से शायद अब जिन्दा बाहर खड़ा हॅूं, ये सब बता रहे हैं, कहां-कहां, कितना-2 क्या हालत है यहां की, कितना कंधों की है, क्या हालत इस पेट की है, कहंा-कहां नहीं छिद गया हॅूं, मगर मेरी दशा उस छिदे हुये अर्जुन की तरह है जो केवल एक लक्ष्य जानता था, विजय का लक्ष्य चाहता हूूॅ। कोरोना से लड़ लिया हॅूू, फिर खड़ा हो जाऊंगा, फिर लडूंगा, अधूरी लड़ाई भी जहां-जहां रह गई है, उसको पूरा करूंगा। कुछ बातें कहीं हैं, उन बातों को भी पूरा करूंगा, लेकिन मेरे लिये आज एक वोट, हे देवताओं की धरती, देवीयों की धरती, हे शिव महादेव की धरती, हे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की धरती, ‘‘मेरी पुकार सुन-मेरी पुकार सुन’’, कहीं से कुछ हो सके तो मुझे क्षमा कर दे, लेकिन चुनाव जीता दे, इस चुनाव में कांग्रेस को विजयी बना दें।

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