दिल्ली में उजड़ गया उत्तराखंड का हंसता-खेलता परिवार, मौत का कौन है जिम्मेदार ?
तनुजा का परिवार उत्तराखंड के कुमाऊं का रहने वाला है। घटना के बाद तनुजा और प्रांशू की डेडबॉडी लेकर परिवार कुमाऊं चला गया। पुलिस ने मामले में BNS की धारा 106 (1) यानी लापरवाही से मौत के तहत FIR दर्ज की है।
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) दिल्ली-एनसीआर में 30 जुलाई को बारिश के बाद बने बाढ़ के हालात में 10 लोगों की मौत हुई। इसमें 5 मामले दिल्ली, 3 गुरुग्राम और 2 ग्रेटर नोएडा के हैं। सभी मामलों में स्थिति एक ही है। बारिश और खराब ड्रेनेज सिस्टम की वजह से पानी निकल नहीं पाया और सड़कों पर जमा हो गया।
दिल्ली में एक दिन की बारिश में इतनी दिक्कत क्यों हो जाती है, इसमें लापरवाही किसकी है, कैसे लोग खराब इंतजामों का शिकार बन गए, ये बड़े सवाल हैं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। जाहिर है जिम्मेदार विभाग औऱ अधिकारी-कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभा रहे हैं, इस वजह से हर साल बरसात में होने वाले हादसे में लोग असमय अपनी जान गंवा रहे हैं।
केस स्टडी- उजड़ गया हंसता-खेलता उत्तराखंड का एक परिवार
घटना 30 जुलाई की शाम 6 बजे गाजीपुर की खोड़ा कॉलोनी में रहने वाली 23 वर्ष की तनुजा ढाई साल के बेटे प्रांशू को लेकर सब्जी लेने गई थीं। तभी तेज बारिश होने लगी। शाम 7 बजे तक इलाके में तीन फिट तक पानी भर गया। रास्ते में तनुजा का पैर फिसला और वो बेटे को गोद में लिए हुए ही एक नाले में गिर गईं। बहाव इतना तेज था कि दोनों का पता नहीं लगा।
ये नाला धर्मेंद्र शर्मा के ढाबे के सामने से गुजरता है। धर्मेंद्र बताते हैं कि यहां बुध का बाजार लगता है। उस दिन बहुत भीड़ थी। तनुजा बाजार से निकल ही रही थीं कि उनका पैर फिसल गया। तनुजा ने बेटे को गोद में ले रखा था। वो भी उनके साथ गिर गया। एक महिला ने उन्हें बचाने की कोशिश की, तो वह भी नाले में गिर पड़ी। लोगों ने उसे तो खींचकर निकाल लिया, लेकिन तनुजा और प्रांशू नाले में बहते हुए 200 मीटर तक चले गए।
वो आगे बताते हैं कि जब भी बारिश होती है, इस इलाके में कम से कम दो से तीन फीट तक पानी भर जाता है। पानी को निकलने में एक दिन लग जाता है। हमने रेस्क्यू के लिए प्रशासन और पुलिस दोनों को फोन किया, लेकिन कोई नहीं आया। रात करीब 11 बजे एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ी आई। तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी। उसके बाद से अधिकारी आ-जा रहे हैं, लेकिन कोई कुछ नहीं करता।
तेज बहाव में भी बेटे प्रांशू का हाथ पकड़े हुए थी तनुजा
तनुजा दिल्ली में पति गौरव, बेटे और पिता के साथ रहती थीं। गौरव नोएडा की एक निजी कंपनी में 15 हजार रुपए की नौकरी करते थे। तनुजा का परिवार उत्तराखंड के कुमाऊं का रहने वाला है। परिवार रानीखेत स्थित भटकोट गांव का रहने वाला है। घटना के बाद तनुजा और प्रांशू की डेडबॉडी लेकर परिवार कुमाऊं चला गया। पुलिस ने मामले में BNS की धारा 106 (1) यानी लापरवाही से मौत के तहत FIR दर्ज की है।
तनुजा की ताई गोविंदी देवी बताती हैं कि हमें रात 9 बजे पता चला कि तनुजा और प्रांशू नाले में गिर गए हैं। उन्हें बचाने के लिए चार घंटे तक प्रशासन का कोई नहीं आया। करीब 11 बजे दोनों की बॉडी मिली। हम उन्हें लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले गए थे, लेकिन डॉक्टर ने मना कर दिया। 2018 में तनुजा की शादी हुई।
उसका एक ही बेटा था। वो प्रांशू को अगले महीने प्ले स्कूल में डालने वाली थी। स्कूल बैग और बोतल सब ले आई थी। जब दोनों की लाश मिली, तब भी तनुजा ने प्रांशू का हाथ पकड़ रखा था। वो बेटे से बहुत प्यार करती थी। उसे कभी अकेला नहीं छोड़ती थी। मेरे घर भी आती, तो तब तक बैठी रहती, जब तक प्रांशू का मन नहीं भर जाता।
देश की राजधानी में बारिश कुछ लोगों के लिए मौत बनकर आती है, जिम्मेदार विभागों में कॉर्डिनेशन हो और संबंधित विभाग के अधिकारी- कर्मचारी अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करें तो शायद ये नौबत न आए और हंसते-खेलते परिवार बर्बाद न हों।
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