हरिद्वार कुंभ | पूर्व सीएम के इन फैसलोंं को CM तीरथ ने बदला, आप भी जानिए क्या हुए बदलाव

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हरिद्वार कुंभ | पूर्व सीएम के इन फैसलोंं को CM तीरथ ने बदला, आप भी जानिए क्या हुए बदलाव

हरिद्वार कुंभ | पूर्व सीएम के इन फैसलोंं को CM तीरथ ने बदला, आप भी जानिए क्या हुए बदलाव

कुंभ के लिए CM तीरथ सिंह रावत ने कई नियमों में बदलाव किए है। कोरोना के खतरे को देखते हुए जहां त्रिवेंद्र सरकार चाहती थी कि कुंभ में कम लोग आए। इसके लिए त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट साथ लाना, बसें कम चलाना, विशेष ट्रेन न चलाना, कुंभ की सीमित अवधि जैसे कई नियम बनाए तो वहीं तीरथ सरकार ने इन सभी आदेशों में से कई आदेशों को वापस ले लिया है।


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) कुंभ के लिए CM तीरथ सिंह रावत ने कई नियमों में बदलाव किए है। कोरोना के खतरे को देखते हुए जहां त्रिवेंद्र सरकार चाहती थी कि कुंभ में कम लोग आए। इसके लिए त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट साथ लाना, बसें कम चलाना, विशेष ट्रेन न चलाना, कुंभ की सीमित अवधि जैसे कई नियम बनाए तो वहीं तीरथ सरकार ने इन सभी आदेशों में से कई आदेशों को वापस ले लिया है।

CM तीरथ सिंह रावत पहले ही बता चुके है कि कुंभ में कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाना जरूरी नही है। साथ ही सरकार ने लोगों की आवाजाही अबाध रखने के लिए सरकार ने बसों की संख्या बढ़ाने का भी फैसला लिया। इसके अलावा कुंभ की अवधि पर अभी सरकार ने विचार नहीं किया। एक अप्रैल से अधिसूचना लागू होने की संभावना है।  

दरअसल, तीरथ सरकार कुंभ के आयोजन में कोई कमी नही रखना चाहती। शाही स्नान में खुद CM तीरथ हर की पैड़ी पहुंचे और उन्होंने साधुओं के स्वागत में पुष्पवर्षा की। अब तीरथ सरकार श्रद्धालुओं का भी स्वागत करने की हर संभव कोशिश कर रही है। बता दें कि महाशिवरात्रि के स्नान में 11 मार्च को 32 लाख लोगों ने स्नान किया था। 

सरकार की ओर से भीड़ प्रबंधन की पहली योजना का संकेत खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रविवार को दिया। उन्होंने कहा कि लोगों से अपील की जा सकती हैं कि वे आएं, स्नान करें, धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल हों और वापस लौट जाएं। CM तीरथ ने कहा ‘यह भी हो सकता है कि मुख्य स्नान पर्वों पर लोगों को एक जगह रुकने न दिया जाए। उनसे कहा जाए कि वे आएं, स्नान करें और जाएं। 12 साल बाद का महाकुंभ है। कोविड को देखते मास्क, दो गज की दूरी, अन्य नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाए। नियमों का व्यवहारिक पक्ष देखा जाए।’

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