पढ़ें – क्या है 12.5 किलो सोना पहनकर कांवड़ लेने निकले बाबा की कहानी ?

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पढ़ें – क्या है 12.5 किलो सोना पहनकर कांवड़ लेने निकले बाबा की कहानी ?

हरिद्वार जाकर जल लेकर लाने वाले गोल्डन बाबा आजकल सुर्खियों में छाए हुए हैं। वजह है कि बाबा कांवड़ यात्रा कर रहे हैं और वह भी साढ़े बारह किलो सोना पहनकर। करीब चार करोड़ के कीमती आभूषण पहन कर कांवड़ ला रहे बाबा की सुरक्षा में 30 निजी सुरक्षा कर्मी हैं। इनके साथ 350 कांवडिय़ों


हरिद्वार जाकर जल लेकर लाने वाले गोल्‍डन बाबा आजकल सुर्खियों में छाए हुए हैं। वजह है कि बाबा कांवड़ यात्रा कर रहे हैं और वह भी साढ़े बारह किलो सोना पहनकर। करीब चार करोड़ के कीमती आभूषण पहन कर कांवड़ ला रहे बाबा की सुरक्षा में 30 निजी सुरक्षा कर्मी हैं। इनके साथ 350 कांवडिय़ों का दल भी है।
इसके अलावा बाबा 27 लाख रुपए की हीरे की घड़ी भी पहनते हैं जो कि खासतौर पर बनाई गई है। बाबा की लोकप्रियता अब इतनी बढ़ गई है कि विभिन्‍न शहरों से गुजरने पर लोग उनकी एक झलक पाने को घंटों इंतजार करते हैं। दिल्‍ली में कारोबारी रहे बाबा हर साल श्रावण के महीने में कांवड़ यात्रा पर जरूर जाते हैं।

कौन हैं ये गोल्डन बाबा | गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर कुमार मक्‍कड़ है, जो मूलरूप से गाजियाबाद के रहने वाले हैं। गोल्डन बाबा के मुताबिक, वे 1972 से सोना पहनते आ रहे हैं, क्योंकि वे सोने को अपना ईष्ट देवता मानते हैं। गोल्डन बाबा संन्यास ग्रहण करने से पहले एक कारोबारी हुआ करते थे। यानि सुधीर कुमार मक्‍कड़ संन्‍यास लेने से पहले दिल्‍ली में गारमेंट्स का कारोबार करते थे। फिलहाल दिल्ली के गांधी नगर की अशोक गली में बाबा का आश्रम भी है। उनके मुताबिक, जब उन्होंने अपना कारोबाद बंद किया था तब उनका टर्नओवर डेढ़ सौ करोड़ का था। वे कभी हरकी पैड़ी पर चार-चार आने की माला और पीठ पर लाद बाजार में कपड़े बेचते थे।

क्यों बने संन्यासी ? | गोल्डन बाबा उर्फ सुधीर कुमार मक्‍कड़ कहते हैं कि जब वे गारमेंट्स का कारोबार किया करते थे, तब उन्होंने एक व्यापारी के तौर पर कई गलतियां की हैं। अब उन्हीं पापों को प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने संन्यास का रास्ता चुना, जिसके कारण वे आज संत समाज की सेवा कर रहे हैं। गोल्डन बाबा को 2013 में हरिद्वार में अपने गुरु चंदन गिरी जी महाराज ने सबसे पहले उन्हें ये नाम दिया और उन्हें गुरुदीक्षा दी।

गोल्डन बाबा की इच्‍छा | गोल्डन बाबा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कांवड़ यात्रा का राष्ट्रीयकरण हो रहा है। इसी वजह से मैं गोल्‍डन पहन कर यात्रा में निकला हूं। ताकि अधिक से अधिक लोग यात्रा से जुड़े। उनकी इच्‍छा है जन जन तक बम बम बोले का जयकारा पहुंचे। बाबा कहते हैं यात्रा में बजने वाले देश भक्ति गीतों के साथ 90 प्रतिशत कांवड़ों पर लगा तिरंगा इसका प्रतीक है। शिव की आराधना के साथ देशभक्ति का जज्बा बढ़ता जा रहा है, यह अच्छा संकेत है।

शौक के लिए पहनते हैं गोल्ड | बाबा सुधीर कुमार को आभूषणों का बहुत शौक है। यह अपने शरीर पर करीब साढ़े बारह किलो की जूलरी हमेशा पहने रहते हैं। बाबा की जूलरी में सोने के और कीमती पत्थरों से जड़े आभूषण हैं। हाथों में कीमती अंगूठियां हैं। साथ ही बाबा के पास एक खास हीरों से जड़ी हुई घड़ी भी है, जिसकी कीमत 27 लाख रुपए के करीब है। अपनी यात्रा में बाबा अलग-अलग शहरों में ठहरते हैं और बाबा के भक्त इत्यादि उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं।

 

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