शुरु हुए नवरात्र, जानें कैसे करें मां के नौ रूपों की अराधना
भगवती की अराधना का पर्व चैत्र नवरात्र आज से शुरु हो गया है। नवरात्र के साथ सनातनी नया वर्ष आरंभ होता है जिसे हम नवसंवत्सर कहते है अभी तक विक्रम संवत 2072 चल रहा है लेकिन नवरात्र व नवसंवत्सर के साथ विक्रम संवत 2073 हो जायेगा। गुरुवार शाम 4.45 के पहले तक अमावस्या है और
भगवती की अराधना का पर्व चैत्र नवरात्र आज से शुरु हो गया है। नवरात्र के साथ सनातनी नया वर्ष आरंभ होता है जिसे हम नवसंवत्सर कहते है अभी तक विक्रम संवत 2072 चल रहा है लेकिन नवरात्र व नवसंवत्सर के साथ विक्रम संवत 2073 हो जायेगा।
गुरुवार शाम 4.45 के पहले तक अमावस्या है और इस समय से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा लग जायेगी। हालांकि प्रतिपदा के साथ ही नवरात्र का शुभारंभ होता है लेकिन 8 अप्रैल को दोपहर 1.05 बजे तक प्रतिपदा तिथि मान्य है इसलिए कलश स्थापना व नवरात्र दोनों ही आठ अप्रैल से मनाया जायेगा। इसी दिन सुबह 11.30 बजे से दोपहर 12.29 तक का समय कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा है।
ज्योतिषाचार्यों के अऩुसार एक तिथि की हानि होने के कारण इस बार नवरात्र आठ दिनों का होगा। 10 अप्रैल को तृतीय व चतुर्थी दोनों ही पड़ रही है जिसके चलते एक ही दिन में मां चंद्रघंटा व देवी कुष्मांडा की पूजा करनी होगी। इसके बाद की तिथि में किसी प्रकार की समस्या नहीं है।
क्यों मनाया जाता है नवसंवत्सर
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवसंवत्सर आरंभ होता है। पौराणिक मान्यता के अनुयार इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की स्थापना की थी इसलिए सनातनी मान्यताओं के अनुसार प्रति वर्ष इसी दिन से नववर्ष मनाया जाता है।
कैसे करे कलश की स्थापना
कलश की स्थापना करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साफ स्थान पर ही कलश की स्थापना करनी चाहिए। एक लकड़ी की चौकी रख कर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। फिर चावल छिड़कते हुए गणेश भगवान की स्तुति करनी चाहिए। इसके बाद किसी पात्र में काली मिट्टी डाल कर जौ बोना चाहिए। पात्र पर जल से भरा हुआ और आम के पतों को लगाकर कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश पर रोरी से स्वास्तिक चिहृन बनाने के बाद कलावा बांधे। इसके बाद कलश पर चावल से भरी कटोरी रखे और नारियल की चुनरी में लपेटकर कटोरी को रखना चाहिए। इतना करने के बाद देवी का आहृवान करें।
15 को रामनवमी और 16 अप्रैल को पारन
15 अप्रैल को रामनवमी पड़ेगी और 16 अप्रैल को पारन होगा। रामनवमी की पूजा 15 अप्रैल को रात्रि में की जायेगी।
कैसा बीतेगा नया वर्ष
नवसंवत्सर 2073 को सौम्य नाम से जाना जायेगा। वर्ष पर्यंत संकल्पादि में सौम्य संवत्सर का ही विनयोग होता है। इस वर्ष का राजा शुक्र और मंत्री बुध होगा। दोनों ही ग्रहों से सुख व समृद्धि आयेगी, लेकिन चतुर्विद मंडल में अग्रि व वायु मंडल शुभ संकेत देने वाले नहीं है, जिसके चलते देश व समाज में अशुभ व विपरित परिस्थितियां भी बनी रहेगी।
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