उत्तराखंड की राजनीति में पाकिस्तान की एंट्री, बलूनी का हरदा पर बड़ा हमला

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उत्तराखंड की राजनीति में पाकिस्तान की एंट्री, बलूनी का हरदा पर बड़ा हमला

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उत्तराखंड में चुनावी साल में पूर्व सीएम हरीश रावत औऱ भाजपा सांसद अलिन बलूनी फिर आमने सामने हैं। बलूनी ने हरदा पर उनके पाकिस्तान प्रेम को लेकर वार किया है तो हरदा ने भी पलटवार करने में देर नहीं ही। आईए आपको बताते हैं कि एक बार फिर क्यों हरीश रावत औऱ अनिल बलूनी आमने – सामने हैं।


 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में चुनावी साल में पूर्व सीएम हरीश रावत औऱ भाजपा सांसद अलिन बलूनी फिर आमने सामने हैं। बलूनी ने हरदा पर वार किया है तो हरदा ने भी पलटवार करने में देर नहीं ही। आईए आपको बताते हैं कि एक बार फिर क्यों हरीश रावत औऱ अनिल बलूनी आमने – सामने हैं।

दरअसल उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने हरीश रावत द्वारा पाकिस्तानी सेना के जनरल को प्रा (भाई) कहे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है उन्होंने कहा कि हरीश रावत जी जैसे वरिष्ठ राजनेता उस व्यक्ति को 'भाई' कह रहे हैं जिसके हाथ हमारे सैनिकों के खून से रंगे है।

बलूनी ने आगे कहा कि हरीश रावत जी उत्तराखंड के हैं, कहने की आवश्यकता नहीं है कि जब हर घर से यहां औसतन एक सैनिक है। ऐसे में हरीश रावत जी का यह बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। रात जी ऐसा सोचा समझा बयान देकर किस तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, और कहां के वोट बैंक को साध रहे हैं। कांग्रेस की यह राजनीति देश का मनोबल तोड़ने वाली है।

वहीं हरदा ने बलूनी पर पलटवार करने में देर नहीं की। हरीश रावत ने कहा- भाजपा के नेता इस तथ्य से परिचित हैं कि विभाजन के बाद जो हिस्सा पाकिस्तान में रह गया पंजाब का, उसे भी पंजाब ही कहा जाता है और वहां रहने वालों को पंजाबी ही कहा जाता है। सिद्धू यदि दूसरे पंजाबी व्यक्ति से जो पाकिस्तान का जनरल है, उससे गले मिले तो वो एक धार्मिक सुख संवाद को देने के क्रम में मिले, गले मिले तो एक धार्मिक सुसंवाद को जो श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने के विषय में था उसको लेकर के मिले, उसमें भाजपा को राजनीति नजर आती है। मगर मुझे कोई राजनीति नजर नहीं आती है, मुझे तब भी राजनीति नजर नहीं आई थी जब नरेंद्र मोदी जी बिना बुलाए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर चले गये थे और वहां उनसे गले मिले थे, और वहां बिरयानी का लुफ्त उठाया था, क्योंकि हर समय हम विद्वेष की नजर से ही हर किसी को नहीं देखते हैं।

हरदा ने आगे कहा कि जहां तक रहा सवाल उत्तराखंड की सैन्य परंपरा को याद दिलाने का, अनिल बलूना जी को जरूरत नहीं पढ़नी चाहिए। मेरे परिवार, रिश्तेदारी-नातेदारी में सिपाही से लेकर के ब्रिगेडियर तक विभिन्न पदों पर शोभायमान हैं। मेरे भतीजे, मेरे भांजे, मेरे रिश्तेदार-नातेदार, आम उत्तराखंडी के तरीके से विभिन्न सैन्य पदों को सुशोभित कर रहे हैं, हमें उन पर गर्व है। मुझे इस बात का भी गर्व हासिल है कि आतंकवाद से लड़ते हुए कश्मीर में मेरे दामाद शहीद हुये थे, तो मुझे भाजपा के दोस्तों से राष्ट्रवाद और सैन्य सम्मान व सैन्य बलिदान पर कुछ लेक्चर की आवश्यकता नहीं है, इसलिये अपने लेक्चरों को वो सुरक्षित रखें।

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