उत्तराखंड | यशपाल आर्य के इस्तीफे से पहले की कहानी, आप भी जानिए

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उत्तराखंड | यशपाल आर्य के इस्तीफे से पहले की कहानी, आप भी जानिए

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यशपाल आर्य के पाला बदलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यशपाल आर्य को प्रदेश मंत्रिमंडल से हटा दिया है। हालांकि आर्य ने कांग्रेस में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया था, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने यशपाल आर्य को पद मुक्त करने की अधिसूचना जारी की है।


 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) यशपाल आर्य के पाला बदलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यशपाल आर्य को प्रदेश मंत्रिमंडल से हटा दिया है। हालांकि आर्य ने कांग्रेस में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया था, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने यशपाल आर्य को पद मुक्त करने की अधिसूचना जारी की है।

आपको बता दें कि यशपाल आर्य के पास परिवहन समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, छात्र कल्याण, निर्वाचन व आबकारी मंत्रालय थे। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सलाह पर यह भी आदेश दिए कि आर्य के आवंटित विभाग व विषय मुख्यमंत्री के पास अतिरिक्त कार्य प्रभार के रूप में रहेंगे।

ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी काम नहीं आई

कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री की ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी भी नाकाम रही। आर्य ने पार्टी छोड़ने के पहले ही संकेत दे दिए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उनके यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर गए थे। नाश्ते की टेबल पर दोनों नेताओं के बीच बात भी हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने किसी भी तरह की नाराजगी की चर्चाओं को खारिज किया। इसके बाद आर्य मुख्यमंत्री के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में दिखे। उन्होंने बयान भी दिया था कि वह भाजपा परिवार के सदस्य हैं और उनके बारे में की जा रहीं चर्चाएं साजिश का हिस्सा हैं, लेकिन अटकलें सही साबित हुईं।

व्यक्तिगत हित आगे आ गए होंगे

मुख्यमंत्री धामी ने कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के पार्टी छोड़ने पर प्रदेश भाजपा ने कहा कि व्यक्तिगत स्वार्थों की वजह से कोई पार्टी छोड़कर जाता है तो उसे कौन रोक सकता है। इसकी वजह व्यक्तिगत स्वार्थ और बड़ा पद पाने की लालसा है। हमने परिवार माना है। भाजपा परिवार में राष्ट्र प्रथम है, पार्टी द्वितीय है और व्यक्तिगत अंतिम का सिद्धांत है। जिनको इसमें परेशानी होती होगी, हो सकता है उनके व्यक्तिगत हित ज्यादा आगे आ जाते होंगे, तो वह भाजपा में असहज हो जाते होंगे। मैं समझता हूं कि उनका व्यक्तिगत हित आगे आ गया होगा। अंत में उन्होंने शायराना अंदाज में दो पंक्तियां पढ़ीं। ‘जाने वाले को कहां रोक सका है कोई, तुम चले हो तो रोकना वाला भी नहीं कोई।’

संपर्क में विपक्षी नेता

वहीं बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने दावा किया किकुछ समान विचारधारा के विपक्षी नेता भी भाजपा के संपर्क में हैं और पार्टी उनका स्वागत करेगी। पहले भी भाजपा की विचार और विकासपरक सोच के चलते कई लोग भाजपा में शामिल हुए हैं।

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