जोशीमठ | ज्योतिर्मठ परिसर में आईं दरारें, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चिंता जताई

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जोशीमठ | ज्योतिर्मठ परिसर में आईं दरारें, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चिंता जताई

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जोशीमठ में हो रहे भूधसाव से हालात चिंताजनक है। बदरीनाथ हाईवे भी भू-धंसाव की जद में आ चुका है। राजमार्ग पर आईं बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का कारण बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है।




जोशीमठ (उत्तराखंड पोस्ट)
जोशीमठ में हो रहे भूधसाव से हालात चिंताजनक है। बदरीनाथ हाईवे भी भू-धंसाव की जद में आ चुका है। राजमार्ग पर आईं बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का कारण बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है।

अब जोशीमठ में भू-धंसाव की चपेट में ज्योतिर्मठ परिसर भी आ गया है। परिसर के भवनों, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि मठ के प्रवेश द्वार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में दरारें आई हैं। इसी परिसर में टोटकाचार्य गुफा, त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की गद्दी स्थल है। शंकराचार्य की गद्दी स्थल की सामने आई तस्वीरें हर किसी को तकलीफ पहुंचा रही है।

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ भी इसकी चपेट में आ रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से भू-धंसाव से प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। लेकिन समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शुक्रवार को हरिद्वार पहुंचे। कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में पत्रकारों से वार्ता करते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना बेहद चिंताजनक है। ऐतिहासिक एवं पौराणिक सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में हैं। एक सप्ताह से जमीन धंसने से 500 से अधिक मकान प्रभावित हुए हैं। मकानों में दरारें आ गई हैं।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हिमालय में जो कुछ हो रहा है, उसको लेकर लंबे समय से चिंता व्यक्त की जा रही थी। इसकी अनदेखी होते रही, जिसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। जमीन धंसने को लेकर अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को सही कारण का पता लगाना चाहिए। शंकराचार्य ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जोशीमठ के हालातों की जानकारी देंगे, ताकि सकारात्मक पहल हो सके। प्राथमिकता से पीड़ितों का पुनर्वास कराया जा सके। उन्होंने कहा कि उनके सभी कार्यक्रम स्थगित हो गए हैं। शनिवार को वह स्वयं प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने जोशीमठ जाएंगे।

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