इस अज्ञात झरने में छुपा है जोशीमठ में तबाही का रहस्य, विशेषज्ञ भी हो गए हैरान

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से लोगों पर खतरा बढ़ता जा रहा है। सरकार ने जोशीमठ शहर में जानमाल की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। जोशीमठ का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की संस्तुतियों के आधार पर देर शाम यह कदम उठाया गया।
जोशीमठ (उत्तराखंड पोस्ट) जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से लोगों पर खतरा बढ़ता जा रहा है। सरकार ने जोशीमठ शहर में जानमाल की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। जोशीमठ का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की संस्तुतियों के आधार पर देर शाम यह कदम उठाया गया।
जोशीमठ में तबाही के बीच खबर मिली है कि शहर के सबसे निचले हिस्से में बसी जेपी कॉलोनी में फूटे झरने में शहर के घरों की दीवारों के दरकने, जमीन फटने और सड़कों के धंसने का रहस्य छुपा है। ये जमीन के नीचे जमा पानी है जो शहर में बने घरों, होटलों और भवनों की बुनियाद को खोखला कर रहा है।
हैरत की बात यह है कि तबाही के मुहाने पर सीढ़ीदार ढंग से बसे इस शहर में कोई सरकार ड्रेनेज सिस्टम का इंतजाम नहीं कर पाई। बरसात का कुछ पानी ढलान पर बसे इस शहर में ऊपर से नीचे उतरता हुआ नीचे बह रही अलकनंदा नदी में मिल जाता है। बाकी पानी शहर की उस धरती में रिसता रहता है, जो ग्लेशियर से बहाकर लाए गए लूज वोल्डर और मिट्टी के मलबे से बनी है।
आधुनिक टाउनशिप के रूप में बसी जेपी कॉलोनी में जब सब लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब गत 2/3 जनवरी की रात अचानक एक झरना फूट पड़ा। झरने का मटमैला पानी दिन रात लगातार बह रहा है। विशेषज्ञों की टीम हैरत में है कि इतनी तेज बहाव से झरना आखिर कहां से प्रकट हो गया?
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