जोशीमठ | एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की जनवरी की रिपोर्ट, भूमि धंसने की दर हुई दोगुनी
उत्तराखंड के जोशीमठ से जुड़ी बड़ी खबर मिल रही है। एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की जनवरी की रिपोर्ट जारी की है। वाडिया भू विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों के हवाले से उदास की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ में भूमि धंसने की दर दोगुनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में जनवरी में जोशीमठ को छोड़कर कोई ऐसी बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई, जिसमें एक ही दिन या एक समय विशेष में जान माल की क्षति हुई हो।
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के जोशीमठ से जुड़ी बड़ी खबर मिल रही है। एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की जनवरी की रिपोर्ट जारी की है। वाडिया भू विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों के हवाले से उदास की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ में भूमि धंसने की दर दोगुनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में जनवरी में जोशीमठ को छोड़कर कोई ऐसी बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई, जिसमें एक ही दिन या एक समय विशेष में जान माल की क्षति हुई हो।
रिपोर्ट में चमोली जिले के कर्णप्रयाग, टिहरी के अटाली गांव आदि में भी जमीन धंसने की घटनाओं का जिक्र किया गया है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में इस महीने आए भूकंप के झटके और चमोली जिले में हिमस्खलन का भी जिक्र किया गया है। उदास की रिपोर्ट पर्यावरणविद् प्रो. रवि चोपड़ा के हवाले से कहती है कि यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि जोशीमठ में भूधंसाव की प्रमुख वजह टनल है।
फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) रिपोर्ट का उद्देश्य राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन है। वहीं जोशीमठ के भू-धंसाव प्रभावित परिवारों के स्थायी पुनर्वास के लिए भूमि का चयन कर लिया गया है। प्रभावितों को गौचर और जोशीमठ के बीच तय भूमि पर ही शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए 40 से 50 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई है। यह जमीन कहां चिन्हित की गई है, शासन ने अभी इसका खुलासा नहीं किया है।
जोशीमठ में भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र गांधीनगर, सिंहधार, मनोहरबाग और सुनील वार्ड में 863 भवनों में दरारें आईं हैं। इनमें से 181 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया गया है। जिला प्रशासन ने असुरक्षित क्षेत्र के 253 परिवारों के 920 सदस्यों को अस्थायी शिविरों में विस्थापित किया है।
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