सहकारिता चुनाव से पहले 399 समितियों का पंजीकरण निरस्त
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) उत्तराखंड में सहकारिता विभाग ने निष्क्रियता के आरोप में 399 समितियों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। 732 समितियों की अभी जांच चल रही है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई अंतिम चरण में है। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं) हिंदुस्तान की खबर के अनुसार निष्क्रिय सहकारी समितियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई से पहले सरकार ने समितियों
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) उत्तराखंड में सहकारिता विभाग ने निष्क्रियता के आरोप में 399 समितियों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। 732 समितियों की अभी जांच चल रही है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई अंतिम चरण में है। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)
हिंदुस्तान की खबर के अनुसार निष्क्रिय सहकारी समितियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई से पहले सरकार ने समितियों की जांच कराई। जांच में निष्क्रियता और सहकारिता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन पाए जाने पर 399 समितियों का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया है। इनमें रुद्रप्रयाग की सात, चंपावत की दस, टिहरी की 42, यूएसनगर की 183, देहरादून 157 समितियां शामिल हैं।
दूसरे चरण की जांच में उत्तरकाशी की 152, बागेश्वर की 33, हरिद्वार की 146, अल्मोड़ा की 56, पिथौरागढ़ की 33, नैनीताल की 123 व पौड़ी की 189 समितियों को निष्क्रिय पाया गया है। कुल 732 समितियों का पंजीकरण समाप्ति की प्रक्रिया चल रही है। रजिस्ट्रार बीएम मिश्रा ने कार्रवाई की पुष्टि की।
399 समितियों का पंजीकरण निरस्त होने व 732 पर जल्द गाज गिरने से सहकारिता के चुनाव का गणित बिगड़ जाएगा। इन समितियों में कांग्रेस का वर्चस्व माना जाता है। पंजीकरण निरस्त होने के बाद ये समितियां सहकारिता का हिस्सा नहीं रही। अब इनमें चुनाव नहीं होगा। ऐसे में राज्य सहकारी संघ, आवास संघ, मत्स्य, गृह निर्माण, रेशम, औद्यानिकी, कृषि सहकारी, क्रय विक्रय, उपभोक्ता, श्रम सहकारी समितियों समेत अन्य समितियों के चुनाव इससे प्रभावित होंगे। रजिस्ट्रार बीएम मिश्रा ने बताया कि पंजीकरण निरस्त होने के बाद इन समितियों से कोई चुनाव नहीं लड़ पाएगी।
राज्य सहकारी संघ से जुड़ी 97 सहकारी समितियों की पहले ही सदस्यता निरस्त की जा चुकी है। इसके कारण कांग्रेस को राज्य सहकारी संघ के चुनाव में दिक्कत पेश आनी हैं। क्योंकि कांग्रेस के सहकारिता से जुड़े तमाम बड़े दिग्गज इन्हीं समितियों के जरिए चुन कर आते हैं।
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