बागेश्वर- दुष्कर्म और मासूम की हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

बागेश्वर (उत्तराखंड पोस्ट) बागेश्वर जिला सत्र न्यायालय और विशेष सत्र न्यायालय ने मासूम से दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने और एक अन्य महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी को दो अलग-अलग मामलों में फैसला सुनाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
मामला 18 जून 2022 का है । बागेश्वर कोतवाली के गांव सात रतबे में नेपाली मजदूरों का परिवार किराये के मकान में रहता था। मकान मालिक मनोहर तिवारी के पुत्र धीरज तिवारी ने नेपाली मूल की महिला को डरा, धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म करता था।
18 जून 2022 को दिन में आरोपी पीड़ित महिला के कमरे में घुसा, जब अन्य नेपाली काम पर गए थे उसके साथ दुराचार किया। दोबारा दुराचार की कोशिश पर पीड़िता भाग गई। इसके बाद वह बगल के कमरे में घुसा, जहां पीड़ित महिला की डेढ़ साल की मासूम ननद सोई थी। हवशी धीरज तिवारी ने उस मासूम के साथ दुष्कर्म किया और उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और बच्ची के शव को लेकर पास के गधेरे में पत्थर के नीचे दबा दिया।
पीड़िता के परिजन घर आए तो बच्ची घर में नहीं मिली। ढूंढ़ खोज पर बच्ची का शव गधेरे में मिला। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची बच्ची का 19 जून को जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। इसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई। जिसके बाद अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
25 जून को पीड़िता महिला के बयान के आधार पर पुलिस ने अज्ञात के स्थान पर धीरज तिवारी को आरोपी बनाते हुए उसके खिलाफ धारा 302, 376, 201, 504 और 55/6 पॉक्सो अधिनियम में केस दर्ज किया।
26 जून को पुलिस ने आरोपी को उसके घर से गिरफ्तार किया। विवेचना के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किए गए। विशेष सत्र न्यायालय और जिला सत्र न्यायालय में घटना के दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई हुई। विशेष सत्र न्यायालय में बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या वाले मामले की पैरवी करते हुए विशेष लोक अभियोजक खड़क सिंह कार्की ने 21 गवाह पेश कराए।
विशेष सत्र न्यायाधीश आरके खुल्बे ने आरोपी को धारा 302 में आजीवन कारावास और 25,000 रुपये जुर्माना, धारा 55/6 पॉक्सो अधिनियम में 20 वर्ष का कठोर कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना और धारा 201 में दो वर्ष की सजा, 10 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया। आरोपी को अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर एक-एक साल का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।
वहीं जिला सत्र न्यायालय में चले महिला से दुष्कर्म मामले में जिला अधिशासी अधिवक्ता फौजदारी गोविंद बल्लभ उपाध्याय और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी चंचल सिंह पपोला ने मामले की पैरवी करते हुए 10 गवाह पेश कराए। जिला सत्र न्यायाधीश आरके खुल्बे ने आरोपी को धारा 376/504 में दोषसिद्ध करते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास और और 20 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड जमा नहीं करने पर आरोपी को छह माह का अतिरिक्त कारावास भोगने की सजा सुनाई।
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