हल्द्वानी | "रातों रात आप 50 हजार लोगों को नहीं हटा सकते",जानिए कोर्ट ने और क्या कहा

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हल्द्वानी | "रातों रात आप 50 हजार लोगों को नहीं हटा सकते",जानिए कोर्ट ने और क्या कहा

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हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण मामले में प्रभावित होने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। आपको बता दें कि 8 जनवरी को हल्द्वानी में नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने वाला था, अब फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय से लोगों को बड़ी राहत मिली है।


हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण मामले में प्रभावित होने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। आपको बता दें कि 8 जनवरी को हल्द्वानी में नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने वाला था, अब फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय से लोगों को बड़ी राहत मिली है।

उत्तराखंड सरकार और रेलवे को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाके में नए निर्माण पर भी रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कौल ने कहा कि इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि मामले में समाधान की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजते हुए उत्तराखंड सरकार ओर रेलवे से इस मामले पर जवाब भी मांगा है। कोर्ट ने कहा कि रातों रात आप 50 हजार लोगों को नहीं हटा सकते। यह एक मानवीय मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें कोई व्यावहारिक समाधान ढूंढना होगा। समाधान का यह सही तरीका नहीं है। जमीन की प्रकृति, अधिकारों की प्रकृति, मालिकाना हक की प्रकृति आदि से उत्पन्न होने वाले कई कोण हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। इन्हें हटाने के लिए केवल एक सप्ताह का समय काफी कम है। पहले उनके पुनर्वास पर विचार होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का स्टैंड क्या है इस मामले में? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं। उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस जमीन पर आगे कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसे स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है।

बता दें कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन ने बहस की शुरुआत की। वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील देते हुए कहा कि  प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ। हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने कहा कि ये भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है। हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है। इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे।

आपको बता  दें कि  उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को शहर के बनभूलपुरा क्षेत्र में 29 एकड़ रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था और अतिक्रमणकारियों को इसे खाली करने के लिए एक सप्ताह का अग्रिम नोटिस दिया था। नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा।

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