उत्तराखंड | हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में तेज हुई सियासत, जानिए क्या है पूरा विवाद ?

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उत्तराखंड | हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में तेज हुई सियासत, जानिए क्या है पूरा विवाद ?

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हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण को लेकर उत्तराखंड में सियासत तेज हो गई है। वहीं रेलवे भूमि की जद में आ रहे बनभूलपुरा के लोग अपने आशियाने बचाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं। लाइन नंबर 17 में चोरगलिया रोड के पास सैकड़ों लोग एकजुट हुए और सामूहिक दुआ की।


 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण को लेकर उत्तराखंड में सियासत तेज हो गई है। वहीं रेलवे भूमि की जद में आ रहे बनभूलपुरा के लोग अपने आशियाने बचाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं। लाइन नंबर 17 में चोरगलिया रोड के पास सैकड़ों लोग एकजुट हुए और सामूहिक दुआ की। मस्जिद बिलाली के पेश इमाम मौलाना मो. आसिम ने दुआ कराई। घर और मकानों बचाने के लिए बारगाहे इलाही में गुहार लगाई।

इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा- हमें न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए, उसके बाद फैसला लेंगे, इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए।

वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत मामले को लेकर उपवास पर बैठे।  रावत ने रेलवे भूमि के अतिक्रमण के मामले में कहा कि पुराने समय से रह रहे लोगों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। हरदा ने कहा कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से इनका पुनर्वास कर सकती है। कहा कि हल्द्वानी में जो लोग 60 से 70 वर्षों से रह रहे हैं, उन घरों को तोड़ने का आदेश न्यायालय की ओर से हो गया है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना प्रकरण सही तरह से नहीं रखा है। कहा कि रेलवे जिसको अपनी जमीन बता रहा है, उस जगह पर कई सरकारी स्कूल, फ्री होल्ड जमीन और सरकारी संपत्ति हैं। इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे। आर्य ने कहा कि सरकार के मन में खोट है और वह किसी भी तरह से पीड़ितों को बेदखल करना चाहती है।  

क्या है पूरा मामला ?

रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया है। इसमें रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। जारी नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा।

सात दिन के अंदर अतिक्रमणकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, अन्यथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण तोड़ दिया जाएगा। उसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से वसूला जाएगा। अतिक्रमण तोड़ने के दौरान अगर गिरफ्तार करने की नौबत आई तो इसके लिए ऊधमसिंह नगर में जेल बनाने की योजना बनाई जा रही है।

जिला प्रशासन ने रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अतिक्रमण क्षेत्र को चार सुपर जोन में बांटा है। सुपर जोन में एडीएम स्तर के अधिकारी और जोन, सेक्टर में एसडीएम स्तर के अधिकारी तैनात होंगे। इसके लिए 10 एडीएम और 30 एसडीएम मांगे गए हैं। अतिक्रमण तोड़ने की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, प्रशासन की तैयारियां भी तेज होती जा रही हैं। जिला प्रशासन ने अतिक्रमण वाले क्षेत्र को चार सुपर जोन, 14 जोन और 30 सेक्टर में बांटा है। सूत्रों के अनुसार सुपर जोन में एडीएम और एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। जोन में एडीएम, एएसपी रैंक और सेक्टर में एसडीएम, तहसीलदार, सीओ रैंक के अधिकारी तैनात होंगे।

नैनीताल के डीएम धीराज गर्बयाल ने कहा- यहां पर जितने भी लोग हैं वे रेलवे की भूमि पर हैं। इनको हटाया जाना है, इसके लिए हमारी तैयारी पूरी चल रही है। हमने फोर्स की मांग की है। आने वाले कुछ समय में हम उन्हें हटाएंगे। ये उच्च न्यायालय का आदेश है उसका पालन करना होगा। पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का जैसा आदेश आएगा, उस हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।

हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे भूमि के अतिक्रमण पर नीलेश आनंद भरणे, DIG, कुमाऊं रेंज ने कहा - उच्च न्यायालय का आदेश पर तमाम संगठन और लोगों से वार्ता की गई। हमने पूरे एरिया को जोन, सुपर जोन और सेक्टर में बांट दिया है। हम सभी जोन का गंभीरता से आकलन कर रहे हैं, कितने घर किस सेक्टर जोन में आ रहे हैं और किस तरह से उनको हटाया जाएगा इसका भी आकलन किया जा रहा है। पुलिस मुख्यालय से फोर्स की डिमांड भी की गई है।

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