हल्द्वानी | कोरोना के कहर के बीच लोगों के लिए एक और परेशानी, केमू की बसों का संचालन ठप

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हल्द्वानी | कोरोना के कहर के बीच लोगों के लिए एक और परेशानी, केमू की बसों का संचालन ठप

हल्द्वानी | कोरोना के कहर के बीच लोगों के लिए एक और परेशानी, केमू की बसों का संचालन ठप

वहीं नैनीता जिले में भी लगातार कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते 24 घंटे की अगर बात की जाए तो जिले में कोरोना के 436 नए केस सामने आए है। जिले में अभी कोरोना के 7007 एक्टिव केस है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच पहाड़ों को चलते वाली केमू बसों का संचालन अनिश्चितकाल के लिए ठप हो गया है। ऐसे में पहाड़ जाने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में कोरोना तेजी से पैर पसार रहा है। शुक्रवार को प्रदेश भर में कोरोना के 5654 मामले सामने आए। इसी के साथ प्रदेश में कुल मरीजों की संख्या 186772 पहुंच गई है। वहीं 122 संक्रमित मरीजों की मौत हुई।

वहीं नैनीता जिले में भी लगातार कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते 24 घंटे की अगर बात की जाए तो जिले में कोरोना के 436 नए केस सामने आए है। जिले में अभी कोरोना के 7007 एक्टिव केस है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच पहाड़ों को चलते वाली केमू बसों का संचालन अनिश्चितकाल के लिए ठप हो गया है। ऐसे में पहाड़ जाने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

केमू एसोसिएशन ने 50 फीसदी यात्री और मूल किराए के साथ बसों का संचालन को लेकर असमर्थता जता दी है। अब बसों का संचालन किराया बढ़ोत्तरी, बीमा और टैक्स की माफी पर ही होगा। बसों का संचालन कब शुरू होगा इसका कोई पता नही, तब तक यात्रियों को निजी टैक्सियों पर निर्भर होना पड़ेगा।

बता दें कि हल्द्वानी और रामनगर से कुमाऊं मंडल के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लिए यातायात का प्रमुख साधन केमू की बसें ही हैं। मुनस्यारी, बागेश्वर, धारचूला हो या फिर पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा केएमओयू की बसें हर जगह के लिए चलती हैं। लेकिन कोरोना के चलते करीब 300 बसें अब ठप पड़ गयी है। बस सेवा के ठप होने का कारण आय न हो पाना है।

केएमओयू बस एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश डसीला का कहना है कि सरकार को उनकी स्थिति समझनी होगी। घाटे में चल रही केमू जैसे ही उभरने लगी तो कोरोना ने उनकी मुश्किलें दोबारा बढ़ा दीं। बसों में 50 फीसदी सवारी कर दी गई हैं, लेकिन किराया नहीं बढ़ाया गया। इस कारण बसें घाटे में चल रही हैं। तेल का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है।

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