शीतकाल के लिए बंद हुए द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट, इस साल 18 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में स्थित पंचकेदारों में प्रतिष्ठित, द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बुधवार सुबह शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
इस अवसर पर मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था. भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली देव निशानों और स्थानीय वाद्य यंत्रों की गूंज के बीच श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान कर गई । इस अवसर पर 250 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि 18 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए. कपाट बंद होने से एक दिन पहले मद्महेश्वर मंदिर में हवन किया गया. आज सुबह साढ़े चार बजे मंदिर खुल गया था। सुबह पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए। उसके बाद मंदिर के गर्भगृह में कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई.
भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया. शिवलिंग को फूलों, फल और अक्षत से ढक दिया गया. जिसके बाद शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद किए गए. हक-हकूकधारियों ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार को प्रस्थान किया. बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि आज 20 नवंबर को कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम के लिए गौंडार पहुंचेंगी.
21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में प्रवास और 22 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी. 23 नवंबर को गिरिया से चलकर भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ में विराजमान हो जाएंगी. ओंकारेश्वर में ही भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी. बता दें कि 23 नवंबर को ही मुख्य रूप से मद्महेश्वर मेला भी आयोजित होता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान मद्महेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मेले के लिए ओंकारेश्वर मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है.
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