जानिए किन सीटों पर हाथी बिगाड़ सकता है सत्ता की चाल !

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जानिए किन सीटों पर हाथी बिगाड़ सकता है सत्ता की चाल !

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से हुए विधानसभा चुनाव में भले ही प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ही सत्ता तक पहुंची हों लेकिन राज्य की राजनीति में अन्य दलों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। खासकर राष्ट्रीय दल बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो बसपा का वोट बैंक लगातार उत्तराखंड में


उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से हुए विधानसभा चुनाव में भले ही प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ही सत्ता तक पहुंची हों लेकिन राज्य की राजनीति में अन्य दलों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। खासकर राष्ट्रीय दल बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो बसपा का वोट बैंक लगातार उत्तराखंड में बढ़ा है।  अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

2002 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बसपा ने 2002 में राज्य की 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बसपा ने कुल 11.20 फीसदी प्रतिशत वोट हासिल किए।

जानिए किन सीटों पर हाथी बिगाड़ सकता है सत्ता की चाल !

2007 में बसपा के वोट प्रतिशत में और सीट में ईजाफा हुआ। बसपा ने 8 सीटें जीती तो उसका वोट प्रतिशत बढ़कर 11.76 फीसदी हो गया।

जानिए किन सीटों पर हाथी बिगाड़ सकता है सत्ता की चाल !

2012 में हालांकि बसपा 3 सीटें ही जीत पाई लेकिन उसके वोट प्रतिशत में फिर से ईजाफा देखने को मिला। 2012 में बसपा ने 12.28 फीसदी वोट हासिल किए। 2012 में बसपा ने जो तीन सीटें जीती वो तीनों ही हरिद्वार जिले से थे। यहां पर बसपा ने भगवानपुर, झबरेड़ा और मंगलौर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी।

जानिए किन सीटों पर हाथी बिगाड़ सकता है सत्ता की चाल !

इन सीटों पर चौंका सकती है बसपा | सीटों की अगर बात करें तो प्रदेश में तकरीबन दो दर्जन से अधिक अल्पसंख्यक बहुल सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस और बसपा के बीच टक्कर हो सकती है। बसपा का सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता हैं। हरिद्वार ग्रामीण, भगवानपुर, ज्वालापुर, लक्सर, पिरान कलियर, रुड़की, मंगलौर, सहसपुर, विकासनगर, धर्मपुर, डोईवाला, रामनगर, हल्द्वानी, जसपुर, रुद्रपुर, किच्छा व सितारगंज इन सीटों में से हैं।

आंकड़े बताने के लिए काफी है कि बसपा का हाथी धीरे-धीरे उत्तराखंड में अपनी पैठ बना रहा है और वोटरों में उसका भरोसा भी बढ़ रहा है। एक बार फिर से विधानसभा चुनाव सामने हैं तो बसपा एक बार फिर से छिपी रुस्तम साबित हो सकती है। मतलब भाजपा और कांग्रेस के लिए बसपा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

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