उत्तराखंड | सबसे पहले आग बुझाने पर अब एक लाख रुपये देगी सरकार

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उत्तराखंड | सबसे पहले आग बुझाने पर अब एक लाख रुपये देगी सरकार

उत्तराखंड | सबसे पहले आग बुझाने पर अब एक लाख रुपये देगी सरकार

जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकार अब दंड के साथ ही पुरस्कार का रास्ता अपनाएगी। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने आग लगाने पर वन विभाग को नामजद या अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जो टीम सबसे पहले आग बुझाएंगी उसे एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड सरकार द्वारा वनों में लगी आग पर नियंत्रण के लिए हेलीकॉप्टरों को आग बुझाने के कार्य में लगा दिया है। टिहरी में एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर वनाग्नि नियंत्रण करने के लिए झील से पानी उठाकर जंगलों में छिड़काव कर रहे हैं तो भीमताल झील से पानी उठाकर हेलीकॉप्टर नैनीताल जिलों के जंगल में पानी का छिड़काव कर वनाग्नि पर नियंत्रण की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

वहीं जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकार अब दंड के साथ ही पुरस्कार का रास्ता अपनाएगी। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने आग लगाने पर वन विभाग को नामजद या अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जो टीम सबसे पहले आग बुझाएंगी उसे एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।

वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत का कहना है कि प्रत्येक डिवीजन में प्रथम आने वाली टीम को एक लाख रुपये पुरस्कार दिया जाएगा। वन मंत्री डा. रावत ने कहा कि आग बुझाने में जन सहभागिता बढ़ाने के लिए पुरस्कार दिया जाएगा। प्रत्येक डिवीजन में आग बुझाने में सबसे आगे रहने वाली टीम  को 1-1 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा जबकि द्वितीय स्थान पर रहने वाली चार टीमों को 51-51 हजार और तृतीय स्थान पर रहने वाली 10 टीमों को 31-31 हजार रुपये पुरस्कार के तौर पर दिए जाएंगे।

वहीं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि जंगल में आग से वन्य जीव ही नहीं, जनजीवन भी प्रभावित होता है। दो हेलिकाॅप्टरों का प्रयोग कर राज्य सरकार वनाग्नि को बुझाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, परंतु जनता का भी यह कर्तव्य है कि वे वनाग्नि की रोकथाम में सहयोग करें।

मेरा अनुरोध है कि वनों में जलती बीड़ी, सिगरेट या माचिस की तीली न फेंकें साथ ही खेत-खलिहानों में अपशिष्ट जलाते समय भी विशेष सावधानी बरतें। यदि आपको वनाग्नि दिखाई देती है तो तुरंत निकटतम वन चौकी या क्रू स्टेशन पर सूचित करें। आप टोल फ्री नं. 1800-180-4141 पर भी इसकी सूचना दे सकते हैं।

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