गढ़वाल की 7 और कुमाऊं की इन 2 सीटों पर फंसी है कांग्रेस !
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 15 फरवरी को मतदान हो चुका है, ऐसे में हर कोई चुनावी नतीजे जानने के लेिए बैचेन है। हालांकि चुनावी नतीजों में अभी वक्त है और पांचों राज्यों के लिए मतदान के बाद 11 मार्च को नतीजे घोषित होंगे लेकिन जीत-हार की चर्चाओं का दौर जारी है। अब ख़बरें एक
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 15 फरवरी को मतदान हो चुका है, ऐसे में हर कोई चुनावी नतीजे जानने के लेिए बैचेन है। हालांकि चुनावी नतीजों में अभी वक्त है और पांचों राज्यों के लिए मतदान के बाद 11 मार्च को नतीजे घोषित होंगे लेकिन जीत-हार की चर्चाओं का दौर जारी है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost
राज्य की सत्ता में वापसी को बेकरार कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस को इस चुनाव में भारी बगावत से जूझना पड़ा। 21 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के 24 बागियों ने पार्टी उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ाई हैं।
हालांकि इन 21 विधानसभा सीटों पर ताल ठोक रहे 24 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कांग्रेस कर चुकी है लेकिन सवाल ये है कि क्या इन बगियों की चुनौती से कांग्रेस चुनाव में पार जा पाई। हालांकि सभी सीटों पर बागियों को स्थिति बहुत मजबूत नहीं रही लेकिन करीब 9 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर बागी कांग्रेस की जीत की संभावना को क्षीण कर सकते हैं।
इन नौ विधानसभा सीटों में से सात विधानसभा सीटें गढ़वाल मंडल में हैं तो दो सीटें कुमाऊं मंडल की हैं जहां पर कांग्रेस मुश्किल में फंसती नजर आ रही है।
गढ़वाल में इन सात सीटों पर मुश्किल
- सहसपुर विधानसभा से आर्येन्द्र शर्मा
- देहरादून कैंट विधानसभा से लक्ष्मण सिंह नेगी और नवीन बिष्ट
- धर्मपुर विधानसभा से हाजी नूर हसन और मैडम रजनी रावत
- रायपुर विधानसभा से मैडम रजनी रावत
- ज्वालापुर विधानसभा से बृज रानी
- यमकेश्वर विधानसभा से रेणु बिष्ट
- देवप्रयाग विधानसभा से शूरवीर सिह सजवाण
कुमाऊं में इन दो सीटों पर मुश्किल
- भीमताल विधानसभा से राम सिह कैड़ा
- लालकुंआ विधानसभा से हरेन्द्र बोरा
इसके अलावा कांग्रेस के सामने उन सीटों पर भी खुद को मजबूत बनाए रखना चुनौती है, जिन सीटों पर पिछले चुनाव में उनके 10 विधायक जीते थे। इन सीटों में केदारनाथ, नरेन्द्रनगर, रायपुर, रुड़की, खानपुर, रामनगर, सोमेश्वर, सितारगंज, रुद्रप्रयाग सीटें शामिल हैं।
कांग्रेस के बागी लड़े तो 21 विधानसभा सीटों में लेकिन इऩ सात सीटें पर बागियों की दमदार उपस्थिति कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रही। कांग्रेस के ये बागी जीत भले ही न दर्ज कर पाएं लेकिन कांग्रेस की सत्ता में वापसी की उम्मीद पर पानी जरुर फेर सकते है। बहरहाल इसका इंतजार 11 मार्च की चुनावी नतीजे के साथ समाप्त हो जाएगा कि आखिर बागियों ने कांग्रेस की नाक में कितना दम किया।
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