लोस चुनाव में हार के लिए भी तैयार हैं हरीश रावत ! बताया हार गए तो क्या करेंगे ?

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लोस चुनाव में हार के लिए भी तैयार हैं हरीश रावत ! बताया हार गए तो क्या करेंगे ?

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और नैनीताल –ऊधम सिंह नगर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हरीश रावत ने बीजेपी पर एक बार फिर से निशाना साधा है। साथ ही लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर बड़ी बात कही है। हरीश रावत ने न सिर्फ उनकी चुनावों में हार पर सवाल उठाने पर बीजेपी के


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और नैनीताल –ऊधम सिंह नगर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हरीश रावत ने बीजेपी पर एक बार फिर से निशाना साधा है। साथ ही लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर बड़ी बात कही है। हरीश रावत ने न सिर्फ उनकी चुनावों में हार पर सवाल उठाने पर बीजेपी के नेताओं को उनकी पूर्व की चुनावी हार याद दिलाई है बल्कि कहा कि वे हार को भी स्वीकार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने पेसबुक पेज पर इस संबंध में क्या लिखा इसे आप नीचे पढ़ सकते हैं-  प्रभुता पाई जाहि मद नाहीं मगर Bharatiya Janata Party (BJP) को कुछ ज्यादा ही घमंड हो गया है। जीत अच्छी बात है, जीतने का प्रयास करना भी अच्छी बात है मगर एक बात याद रखिए हर जीत की बुनियाद हार से बनती है। भाजपा भी यहां तक पहुंचने से पहले कई बार हारी है, बुरी तरीके से हारी है, 1984 में केवल एक लोकसभा सदस्य थे। लोकतंत्र की स्वामिनी जनता कब किसको क्या उपहार दे दे, ये उस पर निर्भर करता है। हम तो उसकी उपासना कर रहे हैं।

मैंने भी चुनाव लड़कर उत्तराखंड की जनता जनार्दन की उपासना की है। विजयश्री देंगे तो उनको धन्यवाद दूंगा और यदि विजय हासिल नहीं होगी तो भी समर्पित भाव से आगे काम करता रहूंगा, इसका विश्वास करें। चुनाव हारने से किसी की महत्ता कम नहीं हो जाती है। Bhagat Singh Koshyari जी यदि 1989 में हमारे मुकाबले में लोकसभा का चुनाव हारे तो इससे भगत सिंह जी की महत्ता कम नहीं हुई, भगत सिंह भगत सिंह ही है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी यदि अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से दो बार पराजित हुए तो इससे Dr Murli Manohar Joshi जी की राष्ट्रीय राजनीति में महानता और गरिमा कम नहीं हुई, डॉ. जोशी डॉ. जोशी हैं और मुझे उनकी बराबरी तक पहुंचने के लिए शायद और न जाने कितनी तपस्या करनी होगी।

मगर यह एक यथार्थ है कि हमने हर हार के साथ और ज्यादा समर्पण से अपने आप को जनता से जोड़ा है। जीत ने हममें अहंकार नहीं नम्रता पैदा की है और भगवान करे यदि विजयश्री मिले तो हमें और नम्र बनाये और यदि हार मिलती है तो और समर्पित भाव से काम करने की क्षमता दे।

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