कुर्सी के लिए अपनों में घिरे BJP और कांग्रेस, लेकिन ये पब्लिक सब जानती है !
नैनीताल विधानसभा में इस बार चुनावी जंग रोचक होने जा रही है। राजनीति का खेल देखिए कांग्रेस की मौजूदा विधायक सरिता आर्या को चुनौती मिल रही है कांग्रेस से भाजपा में गए संजीव आर्य से तो संजीव आर्य के सामने चुनौती हैं बीजेपी से बगावत करने वाले हेम चंद्र आर्य। अब ख़बरें एक क्लिक पर
नैनीताल विधानसभा में इस बार चुनावी जंग रोचक होने जा रही है। राजनीति का खेल देखिए कांग्रेस की मौजूदा विधायक सरिता आर्या को चुनौती मिल रही है कांग्रेस से भाजपा में गए संजीव आर्य से तो संजीव आर्य के सामने चुनौती हैं बीजेपी से बगावत करने वाले हेम चंद्र आर्य।
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राज्य गठन के बाद से नैनीताल विधानसभा के गणित पर नजर डालें तो साफ होता है कि इस सीट पर किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा है। 2002, 2007 औऱ 2012 में यहां की जनता ने अलग-अलग पार्टी के उम्मीदवार को चुना है।
2002 में इस सीट पर उत्तरांखड क्रांति दल के नारायण सिंह जंतवाल ने जीत दर्ज की थी। जंतवाल ने अपनी निटकतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की जया बिष्ट को 2347 मतों से मात दी थी।
वहीं 2007 के विधानसभा चुनाव में नैनीताल सीट पर भारतीय जनता पार्टी के खड़क सिंह बोहरा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के बोहरा ने यूकेडी की नारायण सिंह जंतवाल को 348 वोट के मामूली अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी।
पिछले विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो इस सीट पर 2012 में कांग्रेस की रेखा आर्या ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस की रेखा ने भाजपा के हेम चंद्र आर्या को 6280 मतों से हराया था।
नैनीताल विधानसभा सीट का गणित बताता है कि यहां की जनता के लिए पार्टी नहीं उम्मीदवार मायने रखता है। शायद इसलिए ही यहां पर राज्य गठन के बाद हुए तीन विधानसभा चुनाव में जनता ने किसी एक पार्टी विशेष के उम्मीदवार चुनने की बजाए अलग-अलग पार्टी के उम्मीदवारों पर अपना भरोसा जताया है।
इस बार का चुनाव यहां पर अहम इसलिए है क्योंकि यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव संजीव आर्या चुनाव से ऐन पहले भाजपा में शामिल हुए हैं तो बीजेपी के टिकट के मजबूत दावेदार हेम चंद्र आर्या बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। हेम चंद्र आर्य इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रह चुके हैं लेकिन उन्हें कांग्रेस की सरिता आर्या के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
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वहीं कांग्रेस ने अपनी मौजूदा विधायक सरिता आर्या पर ही दांव खेला है, ऐसे में देखना रोचक होगा कि इस सीट पर इस बार भी प्रत्याशी देखकर अपना विधायक चुनती है या फिर पार्टी देखकर क्योंकि इस सीट पर इन तीनों प्रत्याशियों में से दो प्रत्याशी सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए अपनी अपनी पार्टी को बदल चुके हैं या छोड़ चुके हैं।
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