किसान ने दी अत्महत्या की धमकी, कहा- सरकार मत करो कर्जा माफ लेकिन…

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किसान ने दी अत्महत्या की धमकी, कहा- सरकार मत करो कर्जा माफ लेकिन…

लालकुंआ (नौनीताल) [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] उत्तराखंड में कर्ज के बोझ तले दो किसान अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं इसके बाद भी राज्य के मुखिया संसाधनों का हवाला देते हुए कहते हैं कि सरकार किसानों कर्ज माफ नहीं करेगी। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर


लालकुंआ (नौनीताल) [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] उत्तराखंड में कर्ज के बोझ तले दो किसान अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं इसके बाद भी राज्य के मुखिया संसाधनों का हवाला देते हुए कहते हैं कि सरकार किसानों कर्ज माफ नहीं करेगी। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

इस बीच किसानों के साथ दिक्कत एक तरफ से नहीं है, वे दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं। मौसम की मार झेलने के साथ ही किसानों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत जंगली जानवरों से अपनी फसल बचाने की है। मौसम से फसल बच भी जाए तो जंगली जानवर फसल को चौपट कर रहे हैं।

ताजा मामला नैनीताल जिले के लालकुआं का है, जहां पर हल्दूचौड़ में ग्राम सभा गंगापुर कबडवाल में जंगली हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया और किसानों की 2 एकड़ से अधिक गन्ने की फसल रौंद डाली। किसानों ने इसकी जानकारी जंगलात के अधिकारियों को दी तो रेंजर साहब मौका-मुआयना करने पहुंचे। फसल बर्बाद होने से गुस्साए किसानों ने रेंजर साहब को खूब खरी खोटी सुनाई।

किसानों का वन विभाग पर आरोप है कि विभागीय लापरवाही के चलते हाथी आबादी वाले क्षेत्रों में आ रहे है। विभाग द्वारा गर्मी के मौसम में जानवरों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। नतीजतन प्यासे जानवर पानी की तलाश में आबादी की ओर आ रहे हैं और किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।

हालांकि मौका मुआयना करने आए वन क्षेत्राधिकारी पूरन चंद्र जोशी ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया है और आकलन करने के बाद अग्रिम रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपेंगे ताकि पीड़ित ग्रामीणों को मुआवजा मिल सके।

इस पर ग्रामीणों का कहना है कि शासन से उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल पाता और हालात यह हो गए हैं कि किसान अब आत्महत्या करने को मजबूर हैं। पीड़ित किसान नंदा बल्लभ कबड़वाल ने कहा कि उनके ऊपर कई लाख रुपए कर्जा है ऐसे में जंगली जानवर आ कर उनकी फसलों को खराब कर रहे हैं यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल में यदि 10000 का खर्चा आता है तो इसकी लागत के हिसाब से जंगलात मुआवजा नहीं देता। जिससे किसान आर्थिक रुप से काफी कमजोर हो चुके हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि या तो उनका कर्ज माफ किया जाए या फिर वन विभाग जंगली जानवरों को रोकने के लिए उचित कदम उठाएं।

माना सरकार अपनी मजबूरियों के चलते कर्जा माफ नहीं कर सकती लेकिन कम से कम जानवरों को किसानों की मेहनत की कमाई पर पानी फेरने से तो रोक ही सकती है।  बहरहाल एक और किसान द्वारा आत्महत्या करने की धमकी के बाद अब देखना ये होगा कि किसानों का कर्जा माफ करने से साफ इंकार कर चुके सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत अब क्या किसानों की सुध लेंगे।

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