उत्तराखंड के लाल ने किया ये कमाल, राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित
प्लास्टिक के कचरे से अब एलपीजी गैस बनाई जा सकती है। भारत में प्लास्टिक की खपत हर व्यक्ति करीब 120 ग्राम है। इसी प्लास्टिक से हर रोज करीब 100 ग्राम एलपीजी गैस बनाई जा सकती है। 100 ग्राम गैस एक परिवार के एक दिन का खाना बनाने के लिए काफी है। अब ख़बरें एक क्लिक पर
प्लास्टिक के कचरे से अब एलपीजी गैस बनाई जा सकती है। भारत में प्लास्टिक की खपत हर व्यक्ति करीब 120 ग्राम है। इसी प्लास्टिक से हर रोज करीब 100 ग्राम एलपीजी गैस बनाई जा सकती है। 100 ग्राम गैस एक परिवार के एक दिन का खाना बनाने के लिए काफी है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost
पर्यावरण के लिए नासूर बन चुके प्लास्टिक के कचरे को गैस में तब्दील करने का कारनामा किया है उत्तराखंड के लाल ने। प्लास्टिक कचरे को गैस में तब्दील करने वाली मशनरी की लागत महज 70 हजार के करीब बताई जा रही है। बहरहाल प्लास्टिक से गैस बनाने की मशीनरी तैयार की है कांगड़ा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ अर्थ एडं इन्वायरमेंट साइंस के हेड डॉक्टर दीपक पंत ने।
डाक्टर पंत की माने तो इसे बनाने में उन्हें करीब 12 साल का समय लगा। इसमें प्लास्टिक को काफी ऊंचे तापमान में गलाया जाता है। गलाने के बाद जो पदार्थ मिलता है उसे एकदम अलग कर दिया जाता है। फिर गलाए गए प्लास्टिक को बनाई गई एक मशीन में डाला जाता है। जो कि उसे एलपीजी में बदल देता है। इसका मॉडल भी बनकर तैयार है।
डॉ. पंत के इस इनोवेशन को देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के किए गए इनोवेशन में सर्व श्रेष्ठ चुना गया है। देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी डाक्टर पंत को उनके बेस्ट इनोवेशन के लिए राष्ट्रपति भवन में सम्मानित करेंगे। गौरतलब है कि डाक्टर पंत उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले के मूल निवासी हैं।
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