"खाने के दौरान 'च' से चिकन की सभी वैरायटी पर चर्चा हुई लेकिन चुनाव पर कोई बात नहीं हुई"

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"खाने के दौरान 'च' से चिकन की सभी वैरायटी पर चर्चा हुई लेकिन चुनाव पर कोई बात नहीं हुई"

Congress

ये बात आज इसलिए हो रही है क्योंकि उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत के पुत्र आनंद रावत की एक फेसबुक पोस्ट इन दिनों वायरल हो रही है। ये पोस्ट एक जून 2021 की है यानि कि करीब सवा साल पुरानी। इस पोस्ट को उस वक्त आप लोगों ने न पढ़ा हो इसे पढ़कर आप समझ जाएंगे कि उत्तराखंड कांग्रेस में कहां कमी है।


 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आती है, शायद यही वजह है कि 2022 के चुनाव में उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन की रवायत टूटी और एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनी।

ये बात आज इसलिए हो रही है क्योंकि उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत के पुत्र आनंद रावत की एक फेसबुक पोस्ट इन दिनों वायरल हो रही है। ये पोस्ट एक जून 2021 की है यानि कि करीब सवा साल पुरानी। इस पोस्ट को उस वक्त आप लोगों ने न पढ़ा हो इसे पढ़कर आप समझ जाएंगे कि उत्तराखंड कांग्रेस में कहां कमी है।

नीचे पढ़िए आनंद रावत ने उस वक्त क्या लिखा था औऱ इस पर अपनी राय जरुर दें-

1 जून 2011 को पहली बार युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद देहरादून पहुँचा था, हालाँकि हमारा निर्वाचन देहरादून में ही हुआ था, लेकिन उसके तुरन्त बाद ऋषिकेश में युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी व दिल्ली में राहुल गाँधी जी से मुलाक़ात के बाद पहली बार युवा कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय देहरादून पहुँच रहा था ।

कार्यालय में साढ़े तीन हज़ार से भी ज़्यादा लोगों के शुभकामनाएँ संदेश व सुझाव रूपी पत्र मेरा इंतेज़ार कर रहे थे । कार्यालय के नाम पर प्रथम तल पर सिर्फ़ एक कमरा था, ना उसमें कोई कुर्सी ना मेज़ ? ये वो दौर था जब what's app नहीं था और Facebook का भी चलन बहुत ज़्यादा नहीं था ? Nokia फ़ोन पर अभी कैमरा नहीं शुरू हुआ था ?

इतने सारे सन्देश पत्रों को देखकर, मैं हिम्मत को और हिम्मत मुझे देख रहा था ? हम दोनो ने अपने हाथ से पोस्टकार्ड पर जवाब देना शुरू किया, जिसमें मेरा काम सिर्फ़ दस्तख़त करना था ।

हिम्मत सिंह बिस्ट मेरी पूरी युवा कांग्रेस यात्रा का सहयोगी रहा। चुनाव से लेकर युवा कांग्रेस कार्यकाल तक मेरा साया बनकर मेरे साथ रहा ? शायद जैसे भगवान राम के साथ लक्ष्मण जी थे, लेकिन भगवान राम को साहस के लिए लक्ष्मण जी की तरफ़ और त्याग के लिए भरत की तरफ़ देखना पड़ता होगा, लेकिन मेरे साथ साहस और त्याग दोनो के लिए हिम्मत था।

देहरादून में मेरा कोई आवास नहीं था, तो देहरादून में उसके घर में रहता था और मेरा खाने से लेकर गाड़ी चलाना और कार्यक्रमों की फ़ोटो खींचना और अख़बार में खबर देना ?

हिम्मत के पास मेरे हर सवाल और समस्या का समाधान था ?

मेरा असली संघर्ष शुरू हुआ 2012 में जब विजय बहुगुणा जी मुख्यमंत्री बन गए। विपक्ष में रहते हुए जहाँ मैं कांग्रेस के लिए केन्द्र बिन्दु था, पार्टी के सत्ता में आते ही मैं अछूत हो गया ?

मुख्यमंत्री आवास से लेकर सचिवालय तक मुझे हर जगह जूझना पड़ता। जो साथी कल तक मेरे साथ थे उनका अब नया नेता साकेत बहुगुणा जी बन चुके थे। देहरादून में S-GROUP बन चुका था जिसमें ( Saket Bahuguana, Sanjeev Arya, Sumeet Hridesh aur Saurabh Bahuguna ) थे। सत्ता के गलियारों में इनकी खूब तूती बोलती ? कालान्तर में S-GROUP के सब साथियों को चुनाव लड़ने का मौक़ा मिला।

प्रदेश में जिन युवाओं को कोई नहीं पूछता था, वो लोग मेरे पास अपनी समस्या लेके आते, लेकिन प्रदेश में मेरी कोई सुनने वाला नहीं था। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जी से मुलाक़ात करनी बहुत मुश्किल थी।

इस दौरान S-GROUP के साकेत बहुगुणा जी का टिहरी से लोक सभा उप चुनाव का नामांकन हुआ, मैंने युवा कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जी से ज़िम्मेदारी के लिए पूछा, उन्होंने मुझे शाम को मुख्यमंत्री आवास आने को कहा ? मैं हिम्मत बिस्ट जी के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुँचा, जहाँ विजय बहुगुणा जी मुझे सीधे डाइनिंग हॉल में ले गए जहाँ बहुगुणा जी का पूरा परिवार व हमारे S-GROUP के सभी साथी उपस्थित थे । खाने के दौरान च से चिकन की सभी वैरायटी पर चर्चा हुई लेकिन चुनाव पर कोई बात नहीं हुई।

रात 11 बजे मैं और हिम्मत लौट गए और तय किया कि अगले दिन हम साकेत बहुगुणा जी के साथ उत्तरकाशी चलेंगे । लेकिन उनकी गाड़ी में हमारे लिए जगह नहीं थी हम दोनो अपनी गाड़ी से उत्तरकाशी पहुँचे । रास्ते में थोड़ी देर के लिए कंडिसौड में हम अपने युवा साथियों से मिलने के लिए रुक गए, वहाँ युवा साथी शिकायत करने लगे कि साकेत जी सब इलाहाबाद और बाहर के लड़कों को लेकर घूम रहे है और हमको कोई नहीं पूछ रहा है ?

युवाओं की शिकायतें बहुत थी लेकिन मेरी सुनने वाला सिर्फ़ हिम्मत के कोई और नहीं था । हिम्मत ने कहा भाई जी आज उत्तरकाशी की जनसभा में अपने भाषण में कह देना की मैं आपके बीच का हूँ और आपके बीच ही रहूँगा, भले ही आज मेरा समय कमजोर है । ये जो आज आपके सामने चुनाव के लिए है शायद कल ना हो, लेकिन मैं आपके बीच हमेशा रहूँगा ? मैंने कहा हिम्मत भाई ये तो ग़लत होगा कि हम अपनी कुंठा सार्वजनिक रूप से कहे ? हिम्मत ने कहा भाई जी कभी अपने दिल की भी करनी चाहिए ?

हिम्मत की बात में दम था 

उत्तरकाशी में मेरी भाषण देने की बारी आयी तो मैंने गढ़वाली में भाषण देना शुरू किया जिसपर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जी ने मुझे टोका और हिंदी में बोलने को बोला । साकेत बहुगुणा जी ने हिन्दी में भाषण दिया । अगले दिन अख़बार में छप गया की प्रदेश अध्यक्ष युवा कांग्रेस ने गढ़वाली में भाषण दिया और साकेत बहुगुणा ने हिन्दी में ।

ख़ैर समझने वाले समझ गए और साकेत बहुगुणा जी वो चुनाव हार गए

लेकिन इस कहानी का नायक हिम्मत बिस्ट है, जिसने मुझे विपरीत परिस्थितियों में लड़ने की हिम्मत दी और हमेशा मेरे लिय त्याग किया । मुझे रात सोने के लिए गद्दा दिया और खुद सोफ़े में सोया । मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि मुझे उत्तराखंड के युवा साथियों का अटूट प्रेम और सहयोग मिला । मेरी कहानी ऐसे साथियों से भरी पड़ी है । बड़कोट का विजयपाल रावत उत्तरकाशी का प्रदीप रावत, लम्बगाँव का स्वर्गीय यशपाल कण्डियाल, बालेन्दु, मनीष नौटियाल, गणेश तिवारी, अँकुर रौथान, देवराज, संजय लिस्ट बहुत लम्बी है ।

इन साथियों का विश्वास विपरीत परिस्थिति में भी लड़ने किहिम्मत देता है। मैं हिम्मत बिस्ट जी व तमाम साथियों से कहना चाहता हूँ , कि मैं कुछ भी भूलता नहीं जिस दिन मौक़ा मिलेगा आपकी उम्मीद से बेहतर करके दूँगा।

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