उत्तराखंड | स्टिंग प्रकरण कुछ लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट था, मैं इन इन्वेस्टर्स का शिकार हूं- हरीश रावत

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उत्तराखंड | स्टिंग प्रकरण कुछ लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट था, मैं इन इन्वेस्टर्स का शिकार हूं- हरीश रावत

Harish

हरदा ने लिखा- संविधान के अनुसार एक राजनीतिक दल का दायित्व बताता है कि वह चुनाव लड़े, बहुमत हासिल करे और सरकार बनाए। एक मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वो सदन में अपना बहुमत बनाए रखे और सरकार चलाए।


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के कथित स्टिंग मामले में एक बार फिर से हरदा ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रखी है। हरदा ने इस पोस्ट के जरिए सीधे सीधे विरोधी दलों पर निशाना साधा है।

हरदा ने लिखा- संविधान के अनुसार एक राजनीतिक दल का दायित्व बताता है कि वह चुनाव लड़े, बहुमत हासिल करे और सरकार बनाए। एक मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वो सदन में अपना बहुमत बनाए रखे और सरकार चलाए।

पूर्व सीएम ने आगे कहा- जो लोग और शक्तियां दल-बदल करवाती हैं और दल-बदल करती हैं, जिन्हें न्याय के देवता महापापी कहते हैं, सीबीआई उनके आदेश पर उस व्यक्ति को अभियुक्त के रूप में खड़ा करना चाहती है, जिस व्यक्ति ने संवैधानिक दायित्व का पालन करते हुए अपनी सरकार को बचाने का प्रयास किया और विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत बनाए रखने का प्रयास किया।

हरदा ने आगे कहा- कर्तव्य पालन करना सीबीआई की नजर में अपराध है और जो संविधान व लोकतंत्र के साथ अपराध करते हैं उनके आदेश का CBI पालन करती है। यह कैसी विडम्बना है, इस पर आप मनन करें।

साथ ही हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया पर कथित स्टिंग का एक वीडियो भी शेयर करते हुए लिखा कि- कृपया तथाकथित स्टिंग के क्रम में इस अंश को भी देखें! यह छोटी सी वार्तालाप यह स्पष्ट करती है कि तथाकथित स्टिंग प्रकरण कुछ लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट था !! मैं इन इन्वेस्टर्स का शिकार हूं।

क्या हा पूरा मामला ?

वर्ष 2016 में तत्कालीन पत्रकार ने उस वक्त मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत का स्टिंग करने का दावा किया था। स्टिंग का वीडियो सामने आने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया था। विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े इस मामले में हरीश रावत की सरकार तक चली गई थी। हालांकि, बाद में सरकार हाईकोर्ट के आदेश से बहाल हो गई थी। इस मामले में सीबीआई दिल्ली शाखा में मुकदमा दर्ज हुआ था।

आपको बता दें कइ इस मामले के सीबीआई के पास जाने के बाद करीब छह साल से जांच में कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही थी। इस बीच पिछले माह अचानक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक मदन बिष्ट और स्टिंग करने वाले पत्रकार उमेश शर्मा को वॉयस सैंपल देने के लिए नोटिस जारी हुए थे। सीबीआई कोर्ट ने खुद या अधिवक्ताओं के माध्यम से जवाब दाखिल करने को कहा था।

स्टिंग मामले में वॉयस सैंपल देने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत तीन नेताओं ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से सीबीआई स्पेशल कोर्ट में जवाब दाखिल किया। उन्होंने सीबीआई को वॉयस सैंपल देने पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही निर्णय लेने की बात कही।

बहस में उन्होंने इस मुकदमे की वर्तमान में चल रही कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। उधर, स्टिंग करने वाले पत्रकार एवं वर्तमान विधायक उमेश कुमार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया, वह जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं। लेकिन, फिलहाल उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसले के लिए 17 जुलाई की तिथि नियत की है।

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