उत्तराखंड चुनाव 2022 | धामी सरकार को भारी न पड़ जाए कहीं इनकी नाराजगी

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उत्तराखंड चुनाव 2022 | धामी सरकार को भारी न पड़ जाए कहीं इनकी नाराजगी

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उत्तराखंड पुलिस के सिपाहियों के पहले बैच को 4600 ग्रेड पे नहीं मिलेगा। इसके स्थान पर अब उन्हें दो लाख रुपये एकमुश्त दिए जाएंगे। बीते शुक्रवार को इस संबंध में गृह विभाग ने मुख्यमंत्री की घोषणा में आंशिक परिवर्तन करते हुए आदेश जारी किए हैं।
 




देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट
) उत्तराखंड पुलिस के सिपाहियों के पहले बैच को 4600 ग्रेड पे नहीं मिलेगा। इसके स्थान पर अब उन्हें दो लाख रुपये एकमुश्त दिए जाएंगे। बीते शुक्रवार को इस संबंध में गृह विभाग ने मुख्यमंत्री की घोषणा में आंशिक परिवर्तन करते हुए आदेश जारी किए हैं।

इस आदेश के बाद पुलिस परिजनों में नाराजगी बढ़ गई है। ग्रेड पे को लेकर सरकार के रवैये पर सिपाहियों के इस्तीफे और उनके लिखे अन्य पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। एक पत्र में सिपाही ने लिखा है कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है। इन दो लाख रुपये में उनका कुछ नहीं होगा। लिहाजा, यह दो लाख रुपये वह सरकार को दान दे देगा। 

उत्तराखंड पुलिस के सिपाही इस धनराशि को अपने लिए नाकाफी मान रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री धामी पर विश्वास किया था। लगा था कि युवा मुख्यमंत्री है, सैनिक पुत्र हैं और घोषणा भी पुलिस के मंच से ही हो रही है। उस वक्त लगा कि उनकी मांगे पूरी हो जाएंगी, लेकिन अब उन्हें सरकार की ओर से यह झुनझुना ही पकड़ाया गया है। सिपाहियों के इस्तीफे के पत्र जो वायरल हो रहे हैं उनमें उन्होंने खुद को पेंशन का हकदार भी बताया है। लिहाजा, उन्होंने इन इस्तीफों को स्वीकार करने की मांग की है।

एक पत्र में तो सरकार और शासन के अधिकारियों को निशाना बनाया गया है। सिपाही की ओर से वायरल हुए इस पत्र में लिखा गया है कि इस धनराशि से उसके परिवार का कुछ नहीं होने वाला है। इस धनराशि को वह सरकार को दान स्वरूप दे रहा है। शायद इससे कुछ भला शासन में बैठे अधिकारियों का हो जाए। सिपाही ने पुलिस मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को भी धनराशि दान देने की बात लिखी है। यह पत्र उसने उत्तराखंड सरकार और पुलिस मुख्यालय दोनों को संबोधित करते हुए लिखा है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड पुलिस में सबसे पहले वर्ष 2001 में भर्ती हुई थी। इस बैच के सिपाहियों को 20 साल की सेवा के बाद 4600 ग्रेड पे दिए जाने की बात कही गई थी। वर्ष 2021 में उन्हें बीस साल का समय हुआ तो सिपाहियों ने इसकी मांग शुरू की। सोशल मीडिया पर आंदोलन शुरू हुआ और फिर उनके परिजनों ने धरातल पर भी इस आंदोलन को उतार दिया। कई चरणों में चले आंदोलन के बाद अक्तूबर में शासन के आश्वासन के बाद डीजीपी ने आश्वासन दिया था। हुआ भी कुछ ऐसे ही कि गत 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन सिपाहियों को सितंबर 2021 से 4600 ग्रेड पे का लाभ देने की घोषणा कर दी।

इस घोषणा का शासनादेश दो माह बाद भी जारी नहीं किया गया। इस पर सिपाहियों के परिजनों ने आंदोलन दोबारा शुरू कर दिया। पिछले दिनों सीएम आवास को घेरने का प्रयास किया। अगले दिन जब परिजन सचिवालय घेरने पहुंचे तब भी पुलिस ने वापस कर दिया। गत 27 दिसंबर को डीजीपी ने शासन की ओर से फिर उन्हें आश्वासन दिया कि 31 को कैबिनेट में इस संबंध में फैसला हो जाएगा। मगर, ऐसा नहीं हुआ और इस मामले में गेंद मुख्यमंत्री के पाले में डाल दी गई। चूंकि, सिपाहियों के परिजन लगातार आंदोलन कर रहे थे। तो अब गृह विभाग से घोषणा में आंशिक बदलाव करते हुए सात जनवरी को दो लाख रुपये एकमुश्त देने का आदेश जारी किया गया है। यानि साफ है कि अब प्रथम बैच के इन सिपाहियों को सरकार 4600 ग्रेड पे देने के मूड में नहीं है।
बता दें कि 2001 में सिपाहियों की पहली भर्ती थी। उस साल करीब 1500 सिपाही भर्ती हुए थे। इनमें से कुछ प्रमोशन पाकर हेड कांस्टेबल बन गए हैं। कुछ रैंकर्स परीक्षा पास कर दरोगा बन चुके हैं। वर्तमान इन सिपाहियों की संख्या की बात करें तो यह 790 हैं। प्रदेश में कई जगह सिपाहियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग करते हुए इस्तीफा दे भी दिया है। ऐसा पुलिस के परिजनों का कहना है। इस बारे में अभी अधिकारियों ने पुष्टि नहीं की है। 


 

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