हरदा ने क्यों कहा, "मुझ पर उत्तराखंड की जनता के कई उपकार हैं, भूतपूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर मेरा क्या कर्तव्य है"
हरीश रावत ने कहा कि मुझ पर कई उपकार उत्तराखंड की जनता के हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर जब मैं देखता हूं कि कुछ ऐसे मुद्दों की उपेक्षा हो रही है तो मन कचोटता है और मैं स्वयं से प्रश्न करने लगता हूं कि एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर तुम्हारा क्या कर्तव्य है?
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार पर गन्ना किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अब किसानों की मांगों के समर्थन में धरना देने का ऐलान किया है।
हरीश रावत ने कहा कि मुझ पर कई उपकार उत्तराखंड की जनता के हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर जब मैं देखता हूं कि कुछ ऐसे मुद्दों की उपेक्षा हो रही है तो मन कचोटता है और मैं स्वयं से प्रश्न करने लगता हूं कि एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर तुम्हारा क्या कर्तव्य है?
हरदा ने कहा कि इस समय दो ऐसे कर्तव्यों से जुड़े हुए बिंदुओं पर मैं, एक बिंदु पर एक दिवसीय उपवास और दूसरे पर 24 घंटे का उपवास रखूंगा। दिनांक-4 मई सायं से 5 मई प्रातः तक अल्मोड़ा में उस स्थल पर जहां सौभाग्य से गांधी, अम्बेडकर और शिल्पकार प्रेरणा के प्रकाश पुंज मुंशी हरिप्रसाद टम्टा की प्रतिमाएं विराजमान हैं, मैं वहां रात भर "उपवास कम धरने" पर बैठूंगा। कांग्रेस सरकार ने गरूड़ा बाज में मुंशी हरिप्रसाद टम्टा जी के नाम पर शिल्प संस्थान का निर्माण प्रारंभ किया था। वर्तमान सरकार द्वारा उस संस्थान का अपमान, शिल्प का अपमान है। मैं इसके विरोध में वहां बैठकर इस बिन्दु पर आगे के संघर्ष संकल्प को संगठित करूंगा।
हरदा ने आगे कहा कि दुनिया में चीनी के दाम आसमान पर हैं। उत्तराखंड में गन्ना उत्पादक किसान सरकार की उपेक्षा से पीड़ित हैं। काशीपुर क्षेत्र और इकबालपुर चीनी मिल का क्षेत्र इसके ज्वलंत उदाहरण हैं, लगभग 200 करोड़ रूपया #गन्ना_उत्पादकों का इकबालपुर चीनी मिल पर बकाया है, मैं दिनांक-9 मई, 2023 को यहां भी 24 घंटे का #उपपास कम धरना चीनी मिल के गेट पर दूंगा।
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